नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन में मेरठवासी हमेशा साथी बने। कांग्रेस हाईकमान से मनमुटाव के बाद जब नेताजी कुछ नया करने की सोच से मेरठ आए तो यहां युवाओं ने उनका पूरा साथ दिया। आईएनए के गठन के सपने को पूरा करने में युवाओं ने सहभागिता निभाई। इन यादों की गवाही आज भी टाउनहॉल और घंटाघर देता है।
इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा के अनुसार नेताजी 1940 में मेरठ में आए थे। यहां टाउनहाल में उनका पहला भाषण हुआ था। इसमें नेताजी ने युवाओं को आजादी की लड़ाई में सहभागिता के लिए ललकारा था। बीएवी इंटर कॉलेज से रिटायर हुए बीएन पाराशर के अनुसार नेताजी 1940 में मेरठ आए थे। 1969 में यहां हमने नेताजी सुभाष जन्मदिवस समिति का गठन किया था।
संग्रहालय में सहेजी हैं यादें
राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में आईएनए के सिपाही की वर्दी, बैज, टोपी है। नेताजी के 210 फोटो हैं जो विभिन्न मुद्राओं में हैं। नेताजी के मित्रों की तस्वीरें, बैज हैं। प्रमुख पत्र शामिल हैं। इनमें अधिकांश फोटो कोलकाता स्थित नेताजी रिसर्च ब्यूरो से एकत्र किए गए हैं।
नेताजी को समर्पित घंटाघर, प्रेक्षागृह
शहर का प्रमुख स्मारक घंटाघर द्वार नेताजी के नाम पर है। चौधरी चरण सिंह विवि कैंपस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर प्रेक्षागृह है। 1957 में मेरठ नगर पालिका ने घंटाघर का नाम नेताजी के नाम पर किया। नेताजी के भतीजे अमीय नाथ बोस भी 1970 से 1980 के बीच कई बार मेरठ आए। कमिश्नरी के सामने के पार्क का नाम भी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर 23 जनवरी 1985 को रखा गया था, बाद में यह नाम बदल गया।
यह भी पढ़ें: नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मुंह बोली बहन हैं माता गौरी रैना, पढ़िए क्या है पूरी कहानी