मुकदमेबाजी की रंजिश में दलित की हत्या करने के मामले में बुधवार को स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट ने छह अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अभियुक्तों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना ठोंका है। कोर्ट ने जुर्माना की 90 फीसदी राशि मृतक की पत्नी को देने का आदेश दिया है। सजा से दंडित अभियुक्तों में कई सगे संबंधी शामिल हैं। मामला कोतवाली देहात थाने के जनऊपुर गांव से जुड़ा है।
जनऊपुर गांव निवासी दलित रामरूप सोनकर ने घटना से कुछ दिन पूर्व न्यायालय के आदेश पर एक मुकदमा गांव के ही भगवान बक्श, राम बरन, रविशंकर व हरिशंकर के खिलाफ लिखाया था। इसमें पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दो मई 2006 को जेल से छूटने के बाद इसी मुकदमे की रंजिश को लेकर अभियुक्त रविशंकर मिश्र, हरिशंकर मिश्र, रामकरन, रामवरन, भगवान बक्श, दलसिंगार मिश्र व गांव के ही एक किशोर आरोपी के साथ ही बल्दीराय थाने के मालपुर गांव निवासी पवन मिश्र एकजुट हो गए।
दो मई 2004 की शाम सभी अभियुक्तों ने लाठी, डंडा, कुल्हाड़ी व बल्लम से लेकर दलित राम रूप सोनकर के घर पर धावा बोल दिया था। सभी अभियुक्तों ने रामरूप को पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। बाद में रामरूप की मौत हो गई। बचाव करने पर परिवार की रामदुलारी को भी चोटें आई थीं। पुलिस ने मृतक रामरूप के पुत्र दुर्गेश कुमार की तहरीर पर अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व दलित उत्पीड़न का केस दर्ज किया था।
मुकदमे के दौरान आरोपी रामबरन की मौत हो गई थी, जबकि एक किशोर आरोपी की फाइल अलग कर दी गई थी। बुधवार को स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट इंतेखाब आलम ने साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद रविशंकर मिश्र, हरिशंकर मिश्र, रामकरन मिश्र, भगवान बक्श मिश्र, दल सिंगार मिश्र व पवन मिश्र को हत्या व दलित उत्पीड़न करने का दोषी करार दिया। कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को उम्रकैद व एक-एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाकर जेल भेजने का आदेश दिया है।