अफसरों पर जमीन का दाखिल-खारिज रोक कर कारोबार की नई कोशिशों में अड़ंगा डालने का आरोप लगाते हुए फर्नीचर कारोबारी ने दिल्ली में फंदे से लटक कर जान दे दी। खुदकुशी से पहले कारोबारी ने मुख्यमंत्री को संबोधित तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। वारदात से मृतक के घर में कोहराम है तो जिले के पुलिस और प्रशासनिक अफसरों में हड़कंप मचा है।
मूलरूप से संभल जनपद के नखासा थानाक्षेत्र के मिलक शाहपुर चमरान निवासी मोहम्मद जाबिर अली फर्नीचर कारोबारी थे। करीब पंद्रह वर्षों से वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली के ओम विहार, उत्तम नगर इलाके में रह रहे थे। उन्होंने कुछ दिन पहले फैक्टरी स्थापित करने के लिए अमरोहा जनपद के डिडौली कोतवाली क्षेत्र के जिवाई गांव में हाईवे किनारे जमीन खरीदी थी। मुरादाबाद निवासी एक शख्स और गाजियाबाद निवासी उसकी बहन द्वारा इस डील पर आपत्ति लगा देने से कारोबारी के हक में जमीन का दाखिल-खारिज नहीं हो पा रहा था।
मृतक कारोबारी जाबिर के साले जलीलुद्दीन का कहना है कि दाखिल खारिज के आदेश को संबंधित एसडीएम ने नियम विरुद्ध तरीके से पलट दिया। इसके बाद उन्होंने आला अफसरों के कई चक्कर लगाए लेकिन दाखिल-खारिज नहीं हुआ। मानसिक रूप से परेशान होकर जाबिर ने दिल्ली स्थित घर में गले में फंदा कसकर जान दे दी।
चर्चा है कि कारोबारी के परिजनों ने दिल्ली में संबंधित थाने में इस मामले को लेकर तहरीर भी दी है। फिलहाल दिल्ली पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
‘योगी जी कर्ज लेकर खरीदी थी जमीन, छोड़ना मत ऐसे बदमाशों को’
कारोबारी जाबिर ने मुख्यमंत्री को संबोधित तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। उसमें लिखा है कि अपने रिश्तेदारों और दूसरे लोगों से कर्ज लेकर जमीन खरीदी थी। बावजूद इसके उसकी जमीन का दाखिल-खारिज नहीं हो रहा था। लिखा है, अफसरों और भू माफिया की मिलीभगत ने उनकी पूरी प्लानिंग चौपट कर दी, जबकि वह लोगों को रोजगार देना चाहते थे। अंत में लिखा है कि मुख्यमंत्री जी ऐसे बदमाशों को छोड़ना मत, जो हम जैसे नौजवानों का गला घोटते हैं। मुझे मुरादाबाद निवासी माफिया और गाजियाबाद निवासी उसकी बहन ने आत्महत्या करने पर मजबूर किया है। कारोबारी ने अपने नोट में बच्चों के लिए इंसाफ की मांग भी की है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायिक परिधि में रहकर आदेश किया गया है। अगर उन्हें कोई आपत्ति थी तो वह कमिश्नरी, राजस्व बोर्ड या हाईकोर्ट में अपनी अपील कर सकते थे। उनके द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं। अगर कोई किसी पर आरोप लगाए तो इसमें क्या कहा जा सकता है।
- विवेक यादव, एसडीएम सदर, अमरोहा