जरवल कस्बा निवासी एक युवक ने चोरी के आरोप में चार जून को न्यायालय पर आत्मसमर्पण किया था। न्यायालय के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया था। जिला कारागार में शनिवार भोर बंदी की रहस्यमय हालात में मौत हो गई।
सूचना जब बंदी के घर पहुंची तो परिवारीजन जिला अस्पताल पहुंचे। यहां परिवारीजनों ने कारागार प्रशासन पर बंदी को पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया। कई और सनसनीखेज खुलासे भी किए। तहसीलदार ने जांच कराने के आदेश दिए हैं।
जरवलरोड थाना क्षेत्र अंतर्गत जरवल कस्बा निवासी तारिक (28) पुत्र शफीक को जरवलरोड पुलिस ने अप्रैल में कस्बे में हुई चोरियों के मामले में नामजद किया था।
इसके बाद जरवल चौकी की पुलिस ने घर पर कई बार दबिश देकर परिवारीजनों पर दबाव बनाया। उस समय तारिक दिल्ली में नौकरी करता था।
पुलिस का अधिक दबाव पड़ने पर परिवारीजनों ने तारिक को दिल्ली से बुलवाया। उसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत पर चार जून को आत्मसमर्पण किया। न्यायालय के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया तब से वह जिला कारागार में निरुद्ध था।
शनिवार भोर बैरक में अचानक तारिक की हालत बिगड़ गई। इस पर जिला कारागार प्रशासन ने तत्काल उसे जिला अस्पताल भेजा। यहां आपातकालीन कक्ष में मौजूद डॉ. एसके वर्मा ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसकी सूचना बंदी के परिवारीजनों को जरवल भेजी गई तो उसकी बहन अकीला व परिवार के अन्य सदस्य जिला अस्पताल पहुंचे। बहन अकीला का कहना है कि उसके भाई को जरवलरोड पुलिस ने जान बूझकर फंसाया।
अप्रैल में चोरी हुई, जबकि जबकि उसका भाई 17 फरवरी से दिल्ली में था। अकीला ने कारागार प्रशासन पर तीन दिन पूर्व फोन कर दो हजार रुपये मांगने का भी आरोप लगाया। यह भी कहा कि कारागार में तारिक का उत्पीड़न किया जाता था, अकारण उसकी पिटाई होती थी।
सूचना पाकर तहसीलदार डीके श्रीवास्तव ने जिला अस्पताल पहुंचकर परिवारीजनों को समझाकर शांत किया। तहसीलदार ने कहा कि घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा होगा।
नहीं हुआ उत्पीड़न
जिला कारागार के अधीक्षक ललित मोहन पांडेय का कहना है कि तारिक की बैरक में मौजूद उसके साथी बता रहे हैं कि रात में सोते समय वह स्वस्थ था। सुबह अचानक उसकी तबियत बिगड़ी। इस पर उसे जिला अस्पताल भेजा गया लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। उन्होंने बंदी के उत्पीड़न से इंकार किया।
जरवल चौकी इंचार्ज ने लिए दो हजार
तारिक की बहन अकीला का कहना है कि जरवल चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश ने दो हजार रुपये की डिमांड की थी। रुपया लेने के बाद कहा था कि भाई का नाम चोरी की घटना से हटा दिया जाएगा लेकिन हटाया नहीं गया।
भाई की परवरिश के लिए नहीं की थी शादी
जिला अस्पताल में फफकते हुए अकीला ने कहा कि मां-बाप की मौत 10 साल पूर्व हो चुकी है। परिवार में भाई तारिक और आरिफ ही थे। उनकी परवरिश के लिए उसने अपनी शादी भी नहीं की।
पूरा जीवन दोनों की देखभाल में लगा दिया लेकिन पुलिस की करतूत ने उसके भाई को अपराधी बनाया और फिर उसकी जान भी ले ली।