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आज आपको मिलवाते हैं झाड़ू बाबा से। वैसे तो उनका नाम महेश शुक्ला है, लेकिन पिछले 13 वर्षों से उन्होंने शहर की साफ-सफाई के लिए हाथ में झाड़ू थाम रखा है, तो लोग उन्हें अब झाड़ू बाबा कहने लगे हैं। महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग को पढ़ने के बाद उन्हें सफाई की प्रेरणा मिली। हालांकि इसके लिए उनके मोहल्ले वाले भी कम जिम्मेदार नहीं हैं, जिन्होंने उनके घर के सामने कूड़ा फेंक कर उन्हें तंग कर रखा था। उन्होंने मोहल्ले वालों को जवाब गांधी जी की शैली में दिया। वे कूड़ा फेंकते थे और यह साफ कर देते थे। इसके बाद एक-एक करके सभी ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया।
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