चंडीगढ़ यूटी प्रशासन शहर के सभी हेरिटेज फर्नीचर के डिजाइन को पेटेंट कराने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए हेरिटेज प्रोटेक्शन सेल के चेयरमैन व प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा के आदेश पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। साथ ही सभी हेरिटेज वस्तुओं की नंबरिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है।
प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा ने बताया कि पियरे जेनरे या फिर उनके परिवार को उनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं के डिजाइन का पेटेंट कराना चाहिए था। अब प्रशासन इस पर काम कर रहा है। पेटेंट हो जाने से हेरिटेज फर्नीचर के जैसे दिखने वाले फर्नीचर कोई नहीं बना सकेगा। न ही उसकी तस्करी कर सकेगा। अगर कोई फर्नीचर बनाना चाहेगा तो उसे रॉयल्टी चुकानी होगी। इससे कुछ हद तक हेरिटेज फर्नीचर की सुरक्षा हो सकेगी।
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हेरिटेज प्रोटेक्शन सेल के सदस्य अजय जग्गा ने बताया कि वह हेरिटेज फर्नीचर को पेटेंट कराने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। शहर का हेरिटेज फर्नीचर पिछले कई सालों से विदेशों में लाखों में नीलाम हो रहा है। यह सभी फर्नीचर चंडीगढ़ के पंजाब यूनिवर्सिटी, यूटी सचिवालय, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, विभिन्न स्कूल व कॉलेज का है। इनके चाहने वाले इसे मुंहमांगी कीमत पर खरीदते हैं। दाम कई गुना ज्यादा होने की वजह से इसकी तस्करी भी बढ़ गई है।
शहर की हेरिटेज वस्तुओं का रिकॉर्ड होगा डिजिटल
शहर में कितनी हेरिटेज वस्तुएं हैं, यह प्रशासन को भी नहीं पता इसलिए इनकी सुरक्षा करने से पहले, इनकी वास्तविक संख्या की जानकारी होनी जरूरी है। इसके लिए मनोज परिदा ने अधिकारियों की एक कमेटी का गठन किया है, जो शहर के सभी हेरिटेज फर्नीचरों के रिकॉर्ड को डिजिटल करने के काम में जुट गई है।
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परिदा ने बताया कि यह कमेटी शहर के सभी हेरिटेज वस्तुओं की पहचान कर उनकी नंबरिंग करेगी और उसकी विडियो रिकॉर्डिंग भी करेगी। सभी की जानकारी डिजिटल माध्यम से सुरक्षित रखी जाएगी ताकि भविष्य में हेरिटेज फर्नीचर की तस्करी पर पूरी तरह के रोक लगाई जा सके।
गौरतलब है कि भारतीय पेटेंट कार्यालय को पेटेंट, डिजाइन और ट्रेड मार्क्स (सीजीपीडीटीएम) के नियंत्रक जनरल के कार्यालय द्वारा प्रशासित किया जाता है। इसका मुख्यालय कोलकाता में है और यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आदेशानुसार काम करता है।