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पांच राज्यों के चुनाव में ज्यादातर बात उत्तर प्रदेश की हो रही है लेकिन पंजाब की सियासत ने भी गजब का रंग दिखाया है। विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन ने पंजाब में सियासी भूचाल ला दिया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस को जीत दिलाने वाले कैप्टन अमरिंदर और सुखदेव सिंह ढींडसा ने तीसरा मोर्चा बना लिया और यह सब हुआ किसान आंदोलन के बाद। राजग का साथ छोड़ने वाली अकाली दल इस बार बसपा के साथ चुनाव मैदान में है और आम आदमी पार्टी भगवंत मान को सीएम पद का चेहरा बनाकर दूसरे ही विचार में है।
इधर दलित वोटों पर भी पंजाब की सियासत में जबरदस्त महाभारत देखने मिली। चरणजीत सिंह चन्नी को अचानक मुख्यमंत्री बनाया गया और इसी वोट बैंक के लिए बसपा के साथ अकाली दल ने गठबंधन कर लिया।
इस गठबंधन के बाद ही कांग्रेस ऊहापोह में नजर आने लगी। अमरिंदर के विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया पर फिर भी भीतर खाने कुछ ठीक नहीं हुआ। भाजपा नई रणनीति के साथ पंजाब की सियासत में हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण कराने में जुट गई है। पार्टी का मानना है कि अगर 58 फ़ीसदी सिखों के खिलाफ हिंदुओं का ध्रुवीकरण हुआ तो पंजाब में बड़ा सियासी बदलाव देखने मिलेगा।
इधर आप का प्रदर्शन सभी पार्टियों की चिंता बढ़ आए हुए हैं। पांच राज्यों के चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब पंजाब में सियासत गरमाने लगी है। उत्तर प्रदेश के बाद अगर बात करें तो पंजाब की सियासत और पंजाब का चुनाव ही देश के बड़े चुनाव में से एक होगा।
किसान आंदोलन के बाद यहां सारे सियासी समीकरण बदलते देख रहे हैं और तस्वीर बिल्कुल अलग है इसलिए अनुमान लगाना कि कौन सी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में उभर कर सामने आएगी औक किसका गठबंधन किसके सााथ होगा कहना थोड़ा मुश्किल जरूर है।