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Muzaffarnagar: Jayant Singh and Delhi Deputy CM Manish Sisodia pay tribute on death anniversary of Chaudhary Mahendra Singh Tikait
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Muzaffarnagar: चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे जयंत सिंह और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया
अमर उजाला ब्यूरो, मुजफ्फरनगर
Published by: Dimple Sirohi
Updated Sun, 15 May 2022 01:17 PM IST
सार
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आज किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साधारण से किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले चौधरी टिकैत दुनिया भर में छा गए थे।
चौधरी जयंत सिह व मनीष सिसौदिया, उप मुख्यमंत्री दिल्ली
- फोटो : amar ujala
मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली निवासी किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने ताउम्र ईमानदारी और सादगी के साथ किसानों के हक में संघर्ष किया। सादगी के साथ ठेठ देहाती अंदाज ने विश्व में उनकी धाक जमाई थी। किसान हित में हमेशा अपने ही अंदाज में आवाज उठाई। आज उनकी 11वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया व रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने सिसौली पहुंचे।
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जन्म कस्बा सिसौली के साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता चौहल सिंह बालियान खाप के 84 गांव के मुखिया थे। बचपन में पिता का साया सिर से उठने के पश्चात उन्हें कम उम्र में ही बालियान खाप के 84 गांवों का मुखिया बनाया गया।
खाप के मुखिया के तौर पर उन्होंने गरीब किसानों की मुश्किलों को नजदीकी से देखा और हमेशा गरीब किसान और मजदूर के हक की लड़ाई लड़ने में उनका तमाम जीवन व्यतीत हुआ। किसानों पर किसी भी अत्याचार के खिलाफ उनका हृदय द्रवित हो जाता था। किसानों की समस्याओं और पीड़ा को दूर करने के लिए अक्सर आंदोलन करते रहे। किसान हित में उनकी हुंकार दिल्ली तक पहुंचती थी। 15 मई वर्ष 2011 को बाबा टिकैत की बुलंद आवाज हमेशा हमेशा के लिए खामोश हो गई।
करमूखेड़ी से निकली थी चिंगारी
विद्युत निगम द्वारा किसानों का शोषण उनसे सहन नहीं हुआ, तो उन्होंने मार्च 1987 में भाकियू का गठन कर करमूखेड़ी शामली में पहला आंदोलन किया। जिसमें हजारों किसान उस आंदोलन के गवाह बने। सरकार ने आंदोलन को ताकत के बल पर दबाने का कुचक्र रचा। पुलिस के लाठीचार्ज में दो किसान शहीद हो गए। सरकार की ताकत उनके हौसले को नहीं तोड़ सकी बल्कि उनकी लड़ाई और तेज हुई। उसके बाद चौधरी टिकैत किसानों के दु:ख दर्द के साथी बन गए। मेरठ में 1989 में करीब डेढ़ महीने तक धरना दिया। वर्ष 1990 में दिल्ली के वोट क्लब पर धरने में उन्होंने सरकार की नींद उड़ा दी।
गांव और किसान की चिंता में डूबे रहे
मजहब और जातपात से कोसों दूर उनका जीवन हमेशा गांव और किसान के चिंतन में लगा रहता था। आंदोलन के चलते उनकी लोकप्रियता देश विदेश में फैल गई थी। इसी कारण जिले का छोटा कस्बा सिसौली भाकियू की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
टिकैत ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया : जोशी
पदम विभूषण और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने शोक संदेश में कहा है कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया। वह किसान आंदोलन के शीर्षस्थ नेता थे। निस्वार्थ, निर्भीक और जुझारू नेता रहे। जल, जंगल और जमीन का संरक्षण वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है।
किसान भवन पर जल, जंगल और जमीन बचाने का संकल्प
भाकियू नेता गौरव टिकैत ने बताया कि रविवार को सिसौली के किसान भवन पर दिवंगत भाकियू अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि मनाई जाएगी। सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी शामिल होंगे। जल, जंगल और जमीन बचाने का संकल्प लिया जाएगा।
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