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यूपी उपचुनाव: बसपा के मैदान छोड़ने से रोचक हुआ मुकाबला, अब सबसे बड़ा सवाल, मुस्लिम की चाल पर टिकी जीत-हार

मदन बालियान, अमर उजाला ब्यूरो, मुजफ्फरनगर Published by: कपिल kapil Updated Tue, 29 Nov 2022 05:22 PM IST
सार

खतौली उपचुनाव अपडेट : बसपा के मैदान छोड़ने से मुकाबला रोचक हो गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुस्लिम फर्राटा भरेंगे या कछुआ चाल चलेंगे।

खतौली उपचुनाव: गठबंधन और भाजपा के प्रत्याशी।
खतौली उपचुनाव: गठबंधन और भाजपा के प्रत्याशी। - फोटो : amar ujala

विस्तार

मुजफ्फरनगर में खतौली विधानसभा के उपचुनाव में मुस्लिम बहुल गांवों में मतदान के प्रतिशत पर सबकी निगाह टिकी है। मुख्य चुनाव में कई बूथों पर 80 फीसदी मतदान हुआ था, लेकिन इस बार मुस्लिमों के मतदान की चाल पर सबकी निगाह टिकी है। सपा-रालोद-आसपा गठबंधन ने तो चुनाव आयोग को भाजपा पर आरोप लगाते हुए चिट्ठी भी लिख दी है।



मुख्य चुनाव की बात करें तो खतौली विधानसभा में कुल 69.65 प्रतिशत मतदान हुआ था। 80 फीसदी मतदान का आंकड़ा छूने वाले कई बूथ थे। मुस्लिम बहुल गांव माने जाने वाले दाहखेड़ी के बूथ संख्या-एक पर 84.81 प्रतिशत मतदान हुआ था। बूथ संख्या दो पर 77.16 और बूथ संख्या तीन पर 76.94 प्रतिशत वोट पड़े थे। मुस्लिम बहुल माने जाने वाले फुलत गांव के बूथ संख्या एक पर भी 60.34 प्रतिशत वोट पड़े थे। शहीद सतीश कुमार विद्यालय के कक्ष संख्या एक में भी 62.51 प्रतिशत मतदान हुआ था। खतौली के मुस्लिम बहुल बूथों पर भी मतदान में खूब उछाल था। प्राथमिक विद्यालय शेखपुरा के कक्ष संख्या तीन में 81.04 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके अलावा बूथ संख्या 178 पर 73.78 प्रतिशत वोट पड़े। मगर, उप चुनाव में सबसे बड़ा सवाल मुस्लिम मतदाताओं की चाल पर ही आकर टिक गया है।


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सियासी गलियों में मुस्लिम बूथों और मतदाताओं को लेकर खूब आंकड़ेबाजी और कयास लगाए जा रहे हैं। गठबंधन की ओर से चुनाव आयोग को चिट्ठी से जाहिर हो गया है कि मुस्लिमों की चाल पर सभी राजनीतिक दलों की निगाह है। गठबंधन का सियासी समीकरण मुस्लिम बाहुल्य गांव के मतदान प्रतिशत पर भी टिका है। यही वजह है कि रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह ने सोमवार को मुस्लिम लोगों से मुलाकात की। 

जातीय समीकरण साध रहे राजनीतिक दल
खतौली उप चुनाव में भाजपा और गठबंधन ने जातीय गणित साधने की तैयारी की है। जातियों के हिसाब से ही जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी दी गई है। देखने वाली बात यह होगी कि उप चुनाव में जातीय गणित का फार्मूला कितना कामयाब रहेगा।

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बसपा के मैदान छोड़ने से रोचक हुआ मुकाबला
मुख्य चुनाव में दलित बहुल बूथों पर बसपा को खूब वोट मिले थे। मगर, इस बार बसपा प्रत्याशी मैदान में नहीं है। देखने वाली बात यह होगी कि अनुसूचित जाति के वोट किसके हिस्से में आते हैं।
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