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दस हजार युवाओं का नौकरी देने का था लक्ष्य, महज 32 सौ को मिला रोजगार
कंपनियों के एचआर के मुताबिक पढ़ाई में भी कमजोर दिखे कई अभ्यर्थी
बरेली। बेरोजगारों के लिए मंगलवार को लगाए गए रोजगार मेले में महज 32 सौ युवाओं को नौकरी हासिल हो सकी, जबकि लक्ष्य दस हजार को रोजगार देने का था। इसका मुख्य कारण रहा कम्युनिकेशन स्किल का सही न होना और खुद को सही से प्रजेंट न कर पाना। मेले में पहुंचे नामी कंपनियों के एचआर ने कहा कि छात्रों ने पढ़ाई भले ही हासिल कर ली हो मगर नौकरी के लिए जरूरी योग्यता में अभी काफी पीछे हैं। विभिन्न् कंपनियों के एचआर ने बेरोजगारी के और बढ़ने की आशंका जताई है। उधर, रजिस्ट्रेशन काउंटर और हेल्पडेस्क पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।
क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय, राजकीय औधोगिक प्रशिक्षण संस्थान, उप्र कौशल विकास मिशन के संयुक्त तत्वाधान में बरेली कालेज में एक बृहद रोजगार मेले का आयोजन मंगलवार को हुआ। सुबह दस बजे से मेले की शुरुआत का समय निर्धारित था मगर युवा सुबह आठ बजे से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। आयोजित मेले में देर शाम तक 10886 अभ्यर्थियों ने रोजगार के लिए आवेदन किया। उम्मीद थी कि बरेली के दस हजार युवाओं को नौकरी मिलेगी मगर सेवायोजना कार्यालय की ओर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 3205 अभ्यर्थी ही कंपनियों की ओर से चयनित किए गए। मंगलवार को मेले का शुभारंभ मेयर डॉ. उमेश गौतम, डीएम नितीश कुमार, सीडीओ चंद्र मोहन गर्ग, एसपी ट्रैफिक राम मोहन सिंह, बरेली कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर डॉ. वंदना शर्मा ने संयुक्त रूप से किया। दोपहर करीब एक बजे मेयर और अफसरों ने विभिन्न कंपनियों में चयनित हुए कई युवाओं को नियुक्ति पत्र भी वितरित किए।
पर्सनैलिटी पर ध्यान दें युवा
कंपनियों के एचआर के मुताबिक साल 2019 में भी वह मेले में आए थे। उस दौरान जो स्थिति थी, वही आज भी मिली। बताया कि युवाओं में कम्युनिकेशन स्किल, प्रेजेंटेशन और पर्सनैलिटी का अभाव है। जिसकी वजह से उनमें आत्मविश्वास की भी कमी दिखाई दी। करीब सौ में दो चार युवा ही जॉब प्रोफाइल के हिसाब से फिट मिले। जिनका सेलेक्शन किया गया। बताया कि मेले में अफरा-तफरी की स्थिति रही। इसलिए जिसमें थोड़ी सी भी जॉब प्रोफाइल दिखाई दी उनके बायोडाटा ले लिए हैं,। जिन्हें इंटरव्यू के लिए बाद में कॉल की जाएगी।
नाम सही नहीं लिखने पर आक्रोशित
मेले में एक कंपनी के काउंटर पर आईटीआई के छात्र जॉब के लिए पहुंचे थे। उनमें से कुछ छात्रों को जब कंपनी का नाम लिखने को कहा गया तो वह नाम सही से नहीं लिख सके। इस पर कंपनी के प्रतिनिधि ने तंज कसा। उन्होंने आईटीआई कर रहे छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान देने का सुझाव देकर वापस भेज दिया। कुछ कंपनियों के एचआर ने बताया कि काउंटर पर हाईस्कूल पास की मांग थी मगर बीए और एमए पास भी आवेदन कर रहे थे। जिन्हें पढ़ाई के हिसाब से करियर चुनने का सुझाव दिया गया। छात्रों के बातचीत का लहजा भी एचआर को नहीं लुभा सका।
‘कम से कम हिंदी तो सही से बोलें’
कॉल सेंटर, बैंक और मार्केटिंग के लिए लगे कंपनियों के काउंटर पर इंटरव्यू के लिए पहुंच रहे युवा अंग्रेजी में बात करना तो दूर हिंदी तक सही से नहीं बोल सके। एक कंपनी की टीम के मुताबिक, छात्रों को भ्रम है कि सिर्फ इंग्लिश बोलने से ही नौकरी मिलती है। जबकि सच यह है कि बातचीत में जरूरत के मुताबिक इंग्लिश का प्रयोग होना चाहिए। बेवजह वाक्यों में इंग्लिश शब्दों का प्रयोग तारतम्य को खत्म करता है। हालांकि, जिन छात्रों ने थोड़ी सी इंग्लिश के साथ बेहतर तरीके से सवालों का जवाब दिया उनका चयन कर लिया है, बाकी उनकी काबिलियत।
लॉकडाउन में गई नौकरी.. हुए बेरोजागर
मेले में कई ऐसे युवा भी पहुंचे थे जो मुंबई, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, चंडीगढ़ आदि महानगरों में अच्छी सैलरी पर नौकरी करते थे। मगर, लॉकडाउन में किसी की कंपनी बंद हो गई तो कोई शॉर्टलिस्ट कर निकाल दिया गया। ऐसे में करीब साल भर बेरोजगारी में दिन कटे। मंगलवार को वह नौकरी लेने के लिए मेले में पहुंचे थे। जिनको वरीयता देते हुए चयन भी कर लिया गया। मगर, ज्यादातर ने बरेली या पास के जिले में ही नौकरी की मंशा जताई। जिससे इनकार पर वह एक से दूसरे काउंटर पर चक्कर काटते रहे। मगर, दूसरे राज्य जाने को राजी नहीं हुए।
प्राइवेट कंपनी में जॉब करने के लिए कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होना सबसे ज्यादा जरूरी है। पांच या दस मिनट की बातचीत में इससे आत्मविश्वास परखा जाता है। दो सौ इंटरव्यू लिए जिसमें से सिर्फ तीन फीसदी भी इसमें पास हुए हैं। - विवेक सिंह, एचआर आईसीआईसीआई
कोरोना महामारी के बाद अब वही नौकरी में तरक्की कर सकता है जो मल्टी टैलेंटेड हो। बेरोजगारी बढ़ी है और कंपनियां आर्थिक मंदी के दौर से गुजरी हैं, इसलिए अब वह सिर्फ उन्हें ही चयन कर रही हैं, जो एक से ज्यादा काम कर सकें। - संदीप प्रकाश शर्मा, एचआर यूरेका फोर्ब्स
जॉब के लिए यहां कई युवा आए मगर चयन सिर्फ उन्हीं का किया गया है जिनमें होम सिकनेस न हो और जॉब टाइम पास के लिए न करें। यहां कम्युनिकेशन स्किल की बेहद कमी दिखी है। युवा पर्सनैलिटी पर भी ध्यान दें तो बेहतर है। - कुलदीप माथुर, एचआर वर्धमान
पहली बार रोजगार मेले में आवेदन किया था और सेलेक्शन हो गया। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। परिवार में सभी बिजनेस में हैं। मैं नौकरी करुं इससे उन्हें कोई एतराज नहीं है। - तान्या तनेजा, ग्रीन पार्क
मैं किसान परिवार से हूं और परिवार में सभी की शिक्षा सामान्य है। मनमुताबिक जॉब मिलने से खुद पर भरोसा बढ़ा है। प्रयास रहेगा कि बेहतर काम कर और अच्छी जॉब हासिल करूं। - सुखप्रीत कौर, पूरनपुर