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राधास्वामी मत के पांचवे गुरू का निधनः वो कहते थे- सफल वही सफलता जिसके कदम चूमे, उनके कथनों को याद कर रहे लोग

अमर उजाला ब्यूरो, आगरा Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Wed, 25 Jan 2023 08:00 PM IST
On demise of fifth Guru of Radhasoami sect people are paying tribute to him by touching Hazuri Bhawan in agra
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राधास्वामी मत के पांचवे गुरु और आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर (दादा जी महाराज) का आज पूर्वान्ह में निधन हो गया। दुनिया भर के राधास्वामी मत के अनुयायियों में शोक की लहर है। हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा में हर कोई राधास्वामी नाम का जाप कर रहा है। अंतिम यात्रा 27 जनवरी, 2023 को हजूरी भवन से ताजगंज मोक्ष धाम के लिए प्रस्थान करेगी। निधन की सूचना के बाद लोग हजूरी भवन पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। 

दादाजी महाराज के निधन पर विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने शोक व्यक्त किया है। दादाजी के निधन की सूचना पर वह हजूरी भवन पहुंचे। यहां उन्होंने दादाजी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें नमन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि दादाजी महाराज के निधन से अपूर्णीय क्षति हुई है। उनकी कमी हम लोगों को हमेशा खलेगी। उन्होंने मौजूद लोगों से वार्ता कर अंतिम संस्कार के कार्यक्रम की जानकारी ली। उन्हें सांत्वना दी, उन्हें ढांढस बंधाया। 
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परम श्रद्धेय दादाजी के निधन पर मैं हृदय की गहराइयों से शोकाकुल हूं। वह राधा स्वामी संप्रदाय के अधिष्ठाता होने के नाते तो परम विशिष्ट थे ही, व्यापक परिप्रेक्ष्य में वे महामानव थे। मुझ पर उनकी विशेष अनुकंपा रही। उनके विराट् अभिनंदन ग्रंथ के प्रणयन में मेरी भी छोटी सी भूमिका थी। सेवानिवृत्ति से पहले तक बीच-बीच में उनके पावन दर्शनों से कृतार्थ होता रहता था। आज मैं शिक्षा जगत में जो भी हूं, उनकी सहज कृपा का परिणाम है। उनके न होने से मैंने अपने संरक्षक को खो दिया। -डॉ. जयसिंह नीरद (पूर्व निदेशक- केएम हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ, आगरा विश्वविद्यालय)
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प्रख्यात इतिहाविद, शिक्षाविद, समाज के ऊर्ध्वचेता मनीषी,  साहित्य मर्मज्ञ, राधास्वामी मत के अमृतवर्षी धर्मगुरु, आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति परम श्रद्धेय दादा डॉ. अगम प्रसाद माथुर का जाना अत्यंत हृदयविदारक है। दादा जी से सहज रूप में प्राप्त स्नेह मेरी अमूल्य धरोहर है। वे हमारी स्मृति में सदैव जिंदा रहेंगे। फिराक गोरखपुरी के इस एहसास के साथ कि  "ऐ मौत हमको आकर खामोश कर गई तू/ सदियों दिलों के अंदर हम गूंजते रहेंगे"। -डॉ. कुसुम चतुर्वेदी
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एक युगपुरुष का चला जाना सुनकर मानस पटल पर उनके सानिध्य और सौजन्य की अनगिनत स्मृतियों से हृदयाघात जैसा आभास हुआ। आगरा कॉलेज में इतिहास पढ़ते हुए उनके श्लोक जैसे कथन कि सफल वही, सफलता जिसके कदम चूमे। आज भी मेरे कानों में गूंजते रहते हैं। लगभग 19-20 वर्ष पूर्व मेरी पुस्तक प्रकाशित करने के लिए आर्थिक सहयोग देते हुए संदेश भिजवाया -मिलन के गीत मुझे बेहद रुचे। महत मस्तिष्क मननशील होता है तो मुदित मन मुखरित होना।.... वे इतिहास और साहित्य की अतुल्य धरोहर थे। -डॉ. राजेन्द्र मिलन, साहित्यकार
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आगरा की आन बान और शान थे दादाजी महाराज। उनके चेहरे की दीप्ति और सदा खेलती हल्की सी मुस्कुराहट ,किसी को भी अपना बना लेती थी । सैकड़ों मंचों पर उनका आशीर्वाद मुझे मिला है।उनके शब्दों में सदैव प्रेरणा का झरना फूटता रहता था।  उनके परलोक गमन से आगरा के आध्यात्मिक और साहित्यिक संसार  में एक ऐसा शून्य पैदा हो गया है जिसकी भरपाई होना मुश्किल है। -सुशील सरित
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