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शव के साथ डेढ़ साल: पड़ोसियों का खुलासा, बोले- विमलेश की मां कहती थी वो जिंदा है; हमने देखे थे ऑक्सीजन सिलिंडर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: Vikas Kumar Updated Sat, 24 Sep 2022 06:54 PM IST
income tax officer dead body
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कानपुर के रावतपुर थाना इलाके के कृष्णापुरी रोशन नगर में एक परिवार का डेढ़ साल से आयकर अधिकारी की लाश के साथ रहने वाले सनसनीखेज मामले के सामने आने से हर कोई हैरान है। इस मामले में कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में अब पड़ोसी जो बातें बता रहे हैं उन्हें जानकर हर कोई हैरान है। पड़ोसियों ने कहा कि जब भी उनके बेटे के बारे में कोई पूछता तो परिजन यही कहते कि विमलेश जिंदा है, यही उन्होंने पूरे मोहल्ले के लोगों को कह रखा था। शुक्रवार को जब स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो मोहल्ले वाले दंग रह गए। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि विमलेश के इलाज के लिए पांच माह तक ऑक्सीजन सिलिंडर भी आते रहे। 
 
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बता दें कि आर्डनेंस फैक्टरी से रिटायर्ड कर्मचारी राम औतार रोशन नगर में परिवार के साथ रहते हैं। तीन बेटों में सबसे छोटा बेटा विमलेश (35) अहमदाबाद में इनकम टैक्स में असिस्टेंट अकाउंटेंट ऑफिसर (एएओ) के पद पर था। विमलेश की पत्नी मिताली किदवईनगर स्थित सहकारिता बैंक में कार्यरत हैं। पिता राम औतार ने पुलिस को बताया कि 18 अप्रैल 2021 को विमलेश कोरोना संक्रमित हो गए थे। परिजनों ने उन्हें बिरहाना रोड स्थित मोती हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, जहां उपचार के दौरान 22 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई थी। 
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मृतक की मां और बाप
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मां राम दुलारी ने कहा कि मैंने अपने बेटे की धड़कन सुनी थी, वरना इतने दिन तक डेड बॉडी कौन रखता है। इसलिए अपने बेटे को अपने पास रखकर उसकी देखभाल कर रही थी। अगर वह मृत अवस्था में होता तो बदबू आ जाती। मोहल्ले के लोग भी बेटे को देखने आते थे। कमजोरी के चलते उसका शरीर काला पड़ गया था। कोई भी डॉक्टर मेरे बेटे को देखने नहीं आता था।
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पिता राम औतार ने कहा कि मेरा बेटा मरा नहीं था। मेरे बेटे की धड़कन चल रही थी। इसलिए उसे घर में रखे थे। मरा होता तो बदबू नहीं आती? कोई डॉक्टर घर नहीं आता था, इसलिए घर पर इलाज कर रहा था। ईसीजी कराने पर उसके जिंदा होने की जानकारी मिली थी। मरी बॉडी कौन रख सकता है। तीन दिन में बदबू आ जाती।
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मृतक की मां और भाई
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मझले भाई दिनेश ने कहा कि हॉस्पिटल से लाने के बाद भाई के शव के दाहसंस्कार की तैयारी की जा रही थी। तभी किसी ने उसकी धड़कन चलने की बात कही। जिसपर वह मोती अस्पताल ले गए थे, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज करने से इनकार कर दिया था। 22 अप्रैल से लेकर अब तक उसे कोई बीमारी नहीं थी। मैं नहीं मानता कि मेरा भाई मृत अवस्था में पड़ा था। सिर्फ शरीर सूख गया था। अब डॉक्टर ने मृत घोषित किया तो मैं मान रहा हूं।
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