मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में पूरी सरकार पर सियासत का सबसे बड़ा परिवार भारी पड़ा। एक ओर जहां मुख्यमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मैनपुरी में उतरी तो वहीं सपा ने भी परिवार समेत अपने प्रदेश भर के नेता उतार दिए। इस सियासी घमासान का परिणाम बृहस्पतिवार को मतगणना के बाद सामने आया तो सरकार पर सियासत का सबसे बड़ा परिवार भारी पड़ा। लाख जतन के बाद भी भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को हार ही मिली। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर नया इतिहास रचा।
वर्ष 1996 से सपा के खाते में रही मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के बगैर पहला चुनाव था। ऐसे में भाजपा हर हाल में इस बार सपा के गढ़ में कमल खिलाना चाहती थी। इसी के चलते भाजपा ने सपा से सांसद और विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की पूरी सरकार भी चुनावी मैदान में उतर गई। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां दो-दो जनसभाएं संबोधित कीं तो वहीं दोनों उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने भी दो से तीन दिन तक प्रवास कर जनसंपर्क और सभाओं को संबोधित किया।
वर्ष 1996 से सपा के खाते में रही मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के बगैर पहला चुनाव था। ऐसे में भाजपा हर हाल में इस बार सपा के गढ़ में कमल खिलाना चाहती थी। इसी के चलते भाजपा ने सपा से सांसद और विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की पूरी सरकार भी चुनावी मैदान में उतर गई। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां दो-दो जनसभाएं संबोधित कीं तो वहीं दोनों उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने भी दो से तीन दिन तक प्रवास कर जनसंपर्क और सभाओं को संबोधित किया।