दशकों तक मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की गलियों में एक सियासी नारा गूंजता रहा है। ये नारा था जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है। मुलायम के निधन के बाद इस नारे को लेकर दुविधा की स्थिति आ गई थी, कि अब नेताजी नहीं हैं तो क्या जलवा कायम रहेगा। लेकिन धरतीपुत्र की धरती पर सपा को मिले जनादेश ने साबित कर दिया कि भले ही मुलायम सिंह यादव नहीं हैं, लेकिन यहां उनका जलवा आज भी कायम है।
मैनपुरी, सपा का वह गढ़ जिसे समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से लेकर अब तक कोई जीत नहीं कर पाया। वर्ष 1996 से लेकर अब तक समाजवादी पार्टी इस लोकसभा सीट पर काबिज है। उपचुनाव भले ही नेताजी मुलायम सिंह यादव के बिना लड़ा गया, लेकिन सपा ने इस चुनाव को नेताजी के नाम पर लड़ा। हर जनसभा में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रत्याशी डिंपल यादव ने जनता से नेताजी को श्रद्धांजलि देने की अपील की। मैनपुरी के मतदाताओं ने भी अपने नेता का सम्मान और जलवा दोनों ही बरकरार रखा।
मैनपुरी, सपा का वह गढ़ जिसे समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से लेकर अब तक कोई जीत नहीं कर पाया। वर्ष 1996 से लेकर अब तक समाजवादी पार्टी इस लोकसभा सीट पर काबिज है। उपचुनाव भले ही नेताजी मुलायम सिंह यादव के बिना लड़ा गया, लेकिन सपा ने इस चुनाव को नेताजी के नाम पर लड़ा। हर जनसभा में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रत्याशी डिंपल यादव ने जनता से नेताजी को श्रद्धांजलि देने की अपील की। मैनपुरी के मतदाताओं ने भी अपने नेता का सम्मान और जलवा दोनों ही बरकरार रखा।