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त्रेता युग में भगवान राम ने लंका विजय के बाद प्रयाग के जिस तीर्थपुरोहित को अपने रघुकुल का पुरोहित माना था, उसके वंश के लोग आज भी मौजूद हैं जो कविवरा, बट्टूपुर जिला अयोध्या के रहने वाले थे, उनकी वंश परंपरा में आज भी मिश्रकुल के तीर्थपुरोहित प्रयाग में विराजमान हैं जो रघुवंशी तीर्थपुरोहित क्षत्रियों के तीर्थ गुरु हैं। प्रयाग में संगम तीरे लगे आकर्षक झंडे ही तीर्थपुरोहितों यानि पंडों के शिविर की पहचान बताते हैं।
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