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स्मृति ईरानी ने रोका राहुल गांधी का विजय रथ
अमेठी। 2014 का चुनाव हारने के बावजूद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अमेठी में सक्रियता आखिर रंग लाई। उन्होंने अमेठी में कांग्रेस का विजय रथ रोक दिया।
अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने न केवल राहुल गांधी की नाकामियों को उजागर किया बल्कि अपने कार्यों की फेहरिस्त गिनाकर कांग्रेस विरोधी माहौल बनाने में कामयाब रहीं।
1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी की जीत के बाद शुरू हुआ कांग्रेस की जीत का सिलसिला अपवाद स्वरूप केवल एक बार 1998 में टूटा था। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजय सिंह ने गांधी फैमिली के करीबियों में शुमार पूर्व मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा को हराया था।
उसके बाद हुए कुल चार चुनावों में एक में सोनिया गांधी और तीन में राहुल गांधी को जीत मिली। कांग्रेस के इस विजय रथ को एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने रोक दिया है।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को अमेठी से राहुल गांधी के मुकाबले चुनाव मैदान में उतारा था। उस चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली लेकिन वे क्षेत्र में जमी रहीं।
इसके पहले अमेठी से चुनाव हारने वाला कोई भी बाहरी प्रत्याशी यहां नहीं लौटा था। अमेठी के लोगों के लिए यह नया तजुर्बा था। इस बीच उन्होंने अपने वेतन से 50 हजार महिलाओं व पुरुषों का बीमा कराया।
गौरीगंज में खाद का रैक पॉइंट बनवाया। पिपरी में बाढ़ की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बांध बनवाया। वे अमेठी दौरे के दौरान न केवल कार्यों की लंबी फेहरिस्त गिनाती रहीं बल्कि राहुल गांधी की नाकामियों पर जोर देती रहीं।
लोगों के बीच वे इस बात को याद दिलाना नहीं भूलती थीं कि वे हार के बाद भी क्षेत्र के लिए लगातार काम कर रही हैं। राहुल गांधी के अमेठी के साथ ही वायनाड से चुनाव लड़ने की बात को भी उन्होंने जनता के बीच बेहद सलीके से उठाया।
वे इसे राहुल गांधी की हार का भय बताने में कामयाब रहीं। चुनाव प्रचार की शुरुआत में भाजपा की अंतर्कलह को भी उन्होंने राजनीतिक कौशल से समाप्त किया। इसके लिए वे पार्टी पदाधिकारियों व नेताओं के घर-घर गईं।