न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चित्रकूट
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Tue, 13 Jul 2021 09:07 AM IST
चित्रकूट में चल रही संघ की चिंतन बैठक में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि नई शिक्षा नीति एक पक्षीय न हो। पूरी तरह तथ्य परक होनी चाहिए। बिना तथ्य वाले और गैर ऐतिहासिक तथ्यों को पाठ्यक्रम से हटाया जाए।
रविवार को यहां आरएसएस की राष्ट्रीय चिंतन बैठक के तीसरे दिन शिक्षा नीति पर मंथन हुआ। आरोग्यधाम परिसर में प्रांत प्रचारकों के साथ आयोजित बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कुछ सालों से भारतीय इतिहास के कई तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके शिक्षा दी जा रही है।
व्यावहारिक ज्ञान की बजाए विद्यार्थियों को रटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मसौदा जल्द तैयार कर इसे लागू किया जाए, ताकि नई पीढ़ी को भारतीय नायकों के बारे में सही ज्ञान मिल सके। कहा कि गणित से लेकर विज्ञान तक व्यवहारिकता से पढ़ाए जा सके। संघ प्रमुख ने कहा कि नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम जरूर होना चाहिए।
साथ ही खेती से लेकर बागवानी को भी इसमें शामिल किया जाए। बैठक में स्कूलों में नए पाठ्यक्रमों से अब तक पढ़ाई न शुरू होने पर चिंता जताई गई। कहा कि इस काम में अब देरी नहीं होनी चाहिए। कोरोना में बंद हुए शिक्षण संस्थानों को चालू कर नए सिरे से शिक्षा दी जाए। बैठक में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का भी सुझाव दिया गया।
चित्रकूट में चल रही संघ की चिंतन बैठक में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि नई शिक्षा नीति एक पक्षीय न हो। पूरी तरह तथ्य परक होनी चाहिए। बिना तथ्य वाले और गैर ऐतिहासिक तथ्यों को पाठ्यक्रम से हटाया जाए।
रविवार को यहां आरएसएस की राष्ट्रीय चिंतन बैठक के तीसरे दिन शिक्षा नीति पर मंथन हुआ। आरोग्यधाम परिसर में प्रांत प्रचारकों के साथ आयोजित बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कुछ सालों से भारतीय इतिहास के कई तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके शिक्षा दी जा रही है।
व्यावहारिक ज्ञान की बजाए विद्यार्थियों को रटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मसौदा जल्द तैयार कर इसे लागू किया जाए, ताकि नई पीढ़ी को भारतीय नायकों के बारे में सही ज्ञान मिल सके। कहा कि गणित से लेकर विज्ञान तक व्यवहारिकता से पढ़ाए जा सके। संघ प्रमुख ने कहा कि नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम जरूर होना चाहिए।
साथ ही खेती से लेकर बागवानी को भी इसमें शामिल किया जाए। बैठक में स्कूलों में नए पाठ्यक्रमों से अब तक पढ़ाई न शुरू होने पर चिंता जताई गई। कहा कि इस काम में अब देरी नहीं होनी चाहिए। कोरोना में बंद हुए शिक्षण संस्थानों को चालू कर नए सिरे से शिक्षा दी जाए। बैठक में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का भी सुझाव दिया गया।