कानपुर में सात दिन से केमिकल नहीं होने से हैलट में पैथोलॉजी जांचें अटकीं हैं। रविवार दोपहर इलेक्ट्रोलाइट मशीन भी खराब हो गई। अब सीबीसी की जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। रविवार को मशीन खराब होने से थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जांच कराने आए रोगी चले गए। हैलट प्रबंधन का कहना है कि केमिकल के लिए पैसे आवंटित कर दिए गए हैं।
वहीं, पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष का कहना है कि कंपनी ने केमिकल नहीं भेजा है। हैलट में इस वक्त बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इसके साथ ही लिवर, गुर्दे और दूसरे रोगी आ रहे हैं। ओपीडी और इमरजेंसी में आने वाले 10 में से आठ रोगियों को कोई न कोई जांच लिखी जाती हैं।
पैथोलॉजी में अधूरी जांचें ही हो पा रही हैं। इलेक्ट्रोलाइट मशीन खराब होने से एसजीपीटी, एसजीओटी की जांचे भी नहीं हो पाईं। प्रहलाद सिंह के रोगी का इलाज चेस्ट हॉस्पिटल में चल रहा है, वे अपने रोगी का सैंपल लेकर आए थे। कुछ रोगियों ने शनिवार को ओपीडी में दिखाया था, उनसे कहा गया था कि रविवार को सैंपल दे देना।
उनकी भी जांच नहीं हो पाई। हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आरके मौर्या का कहना है कि केमिकल के लिए पैसा दे दिया गया है। अभी कंपनी ने केमिकल नहीं दिया है। वहीं, पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमनलता वर्मा का कहना है कि हैलट प्रबंधन ही केमिकल देता है। केमिकल आएगा तो जांचें होने लगेंगी।
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कानपुर में सात दिन से केमिकल नहीं होने से हैलट में पैथोलॉजी जांचें अटकीं हैं। रविवार दोपहर इलेक्ट्रोलाइट मशीन भी खराब हो गई। अब सीबीसी की जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। रविवार को मशीन खराब होने से थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जांच कराने आए रोगी चले गए। हैलट प्रबंधन का कहना है कि केमिकल के लिए पैसे आवंटित कर दिए गए हैं।
वहीं, पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष का कहना है कि कंपनी ने केमिकल नहीं भेजा है। हैलट में इस वक्त बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इसके साथ ही लिवर, गुर्दे और दूसरे रोगी आ रहे हैं। ओपीडी और इमरजेंसी में आने वाले 10 में से आठ रोगियों को कोई न कोई जांच लिखी जाती हैं।
पैथोलॉजी में अधूरी जांचें ही हो पा रही हैं। इलेक्ट्रोलाइट मशीन खराब होने से एसजीपीटी, एसजीओटी की जांचे भी नहीं हो पाईं। प्रहलाद सिंह के रोगी का इलाज चेस्ट हॉस्पिटल में चल रहा है, वे अपने रोगी का सैंपल लेकर आए थे। कुछ रोगियों ने शनिवार को ओपीडी में दिखाया था, उनसे कहा गया था कि रविवार को सैंपल दे देना।
उनकी भी जांच नहीं हो पाई। हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आरके मौर्या का कहना है कि केमिकल के लिए पैसा दे दिया गया है। अभी कंपनी ने केमिकल नहीं दिया है। वहीं, पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमनलता वर्मा का कहना है कि हैलट प्रबंधन ही केमिकल देता है। केमिकल आएगा तो जांचें होने लगेंगी।