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कन्नौज। काली नदी गंगा को गंदा कर रही है। मुजफ्फरनगर से करीब 498 किलोमीटर की दूरी से बहकर यह नदी शहर के महादेवी घाट के पास गंगा से मिलती है। काली का गंदा पानी गंगा को दूषित कर देता है। कई बार केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयास से एनजीटी ने सफाई के लिए बजट जारी किया। कागजों में एक्शन प्लान चलने से काली नदी की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
काली नदी 70 गांवों और नगर पालिका कन्नौज के पास से गुजरती है। इसमें शहर का पाटा नाला, चौधरियापुर, सरायमीरा से लेकर कई गांवों के नाले गिरते हैं। करीब 25 गांव नदी के मुहाने पर बसे हैं। इससे नदी में कूड़ा-कचरा और मृत मवेशियों के शव बहाए जाते हैं। जिले की सीमा में 65 किलोमीटर तक बहने के बाद नदी महादेवी घाट पर गंगा नदी में गिरती है। काली नदी का पानी गंगा को दूषित कर देता है। डीएम रवींद्र कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर काली में गिरने वाले नालों को बंद कर वहां सोकपिट के गड्ढे खुदवाए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
पिछले साल जारी हुए थे 682 करोड़
पिछले साल 2019 में काली नदी की सफाई के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे की टीम को 682 करोड़ रुपये का बजट दिया था। इससे मेरठ, कासगंज और बुलंदशहर तक सफाई अभियान चला था। नदी में गंदगी रोकने के लिए पिलर लगाए गए थे। बजट खत्म होने के बाद सफाई अभियान बंद हो गया। इससे पहले भी कई बार काली नदी की सफाई के लिए बजट और आदेश जारी हो चुके हैं।
सात साल पहले घोषित हुई थी जहरीली नदी
केंद्र सरकार के निर्देश पर 2013 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलोजी रुड़की एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने काली नदी के पानी का सैंपल लिया था। बड़ी संख्या में रसायनिक तत्व, ओडी लेड, एमपीएन मिला था। तब नदी को सबसे जहरीली घोषित किया गया था।
कन्नौज। काली नदी गंगा को गंदा कर रही है। मुजफ्फरनगर से करीब 498 किलोमीटर की दूरी से बहकर यह नदी शहर के महादेवी घाट के पास गंगा से मिलती है। काली का गंदा पानी गंगा को दूषित कर देता है। कई बार केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयास से एनजीटी ने सफाई के लिए बजट जारी किया। कागजों में एक्शन प्लान चलने से काली नदी की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
काली नदी 70 गांवों और नगर पालिका कन्नौज के पास से गुजरती है। इसमें शहर का पाटा नाला, चौधरियापुर, सरायमीरा से लेकर कई गांवों के नाले गिरते हैं। करीब 25 गांव नदी के मुहाने पर बसे हैं। इससे नदी में कूड़ा-कचरा और मृत मवेशियों के शव बहाए जाते हैं। जिले की सीमा में 65 किलोमीटर तक बहने के बाद नदी महादेवी घाट पर गंगा नदी में गिरती है। काली नदी का पानी गंगा को दूषित कर देता है। डीएम रवींद्र कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर काली में गिरने वाले नालों को बंद कर वहां सोकपिट के गड्ढे खुदवाए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
पिछले साल जारी हुए थे 682 करोड़
पिछले साल 2019 में काली नदी की सफाई के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे की टीम को 682 करोड़ रुपये का बजट दिया था। इससे मेरठ, कासगंज और बुलंदशहर तक सफाई अभियान चला था। नदी में गंदगी रोकने के लिए पिलर लगाए गए थे। बजट खत्म होने के बाद सफाई अभियान बंद हो गया। इससे पहले भी कई बार काली नदी की सफाई के लिए बजट और आदेश जारी हो चुके हैं।
सात साल पहले घोषित हुई थी जहरीली नदी
केंद्र सरकार के निर्देश पर 2013 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलोजी रुड़की एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने काली नदी के पानी का सैंपल लिया था। बड़ी संख्या में रसायनिक तत्व, ओडी लेड, एमपीएन मिला था। तब नदी को सबसे जहरीली घोषित किया गया था।