हाथरस: वीडियो मामले में एक रेडीमेड गारमेंट्स फैक्टरी में पूछताछ करते मुरसान कोतवाली निरीक्षक।
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टेंडर का खेल या लुधियाना के व्यापारी की रकम हजम करने की जुगत
वीडियो प्रकरण की विवेचना में पुलिस इन गुत्थियों को सुलझाने में जुटी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हाथरस
हाथरस। वीडियो प्रकरण में कई गुत्थियां अनसुलझी हैं और पुलिस इन कड़ियों को जोड़ने में लगी है। लुधियाना के व्यापारी ने पूछताछ में कहा था कि उसका जबरन वीडियो बनाया गया है और इसे फिर अधिकारियों तक पहुंचाया गया है। इस व्यापारी का कहना था कि हाथरस के कुछ लोगों ने उसके साथ साजिश की है, जिससे उसका उधार यह स्थानीय व्यापारी पचा सकें। अब आखिर डीएम के नाम का यह वीडियो किस मकसद से बनाया गया है। क्या इसमें टेंडर का खेल है या फिर लुधियाना के व्यापारी की रकम हड़पने का मकसद है। सभी पहलुओं पर पुलिस बारीकी से पड़ताल कर रही है।
जिले में इस बार परिषदीय स्कूलों के 1.22 लाख बच्चों को स्वेटर वितरित होने हैं। एक स्वेटर का बजट यहां 163.95 रुपये निर्धारित किया गया। यह टेंडर ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत उठाया गया। इसमें शहर के साथ अन्य जिलों के कारोबारियों ने भी भाग लिया था। इस टेंडर प्रक्रिया में तकनीकी विड को पार करने वित्तीय विड तक सात फर्म पहुंची थीं। इन सात फर्मों में से सबसे कम दर में स्वेटर आपूर्ति देने पर गायत्री फूड्स प्राइवेट लिमिटेड हाथरस को ई -टेंडरिंग के माध्यम से टेंडर मिला था।
इससे पहले विहिप के एक पदाधिकारी व कुछ अन्य कारोबारियों ने डीएम के यहां ड्रेस की आपूर्ति और स्वेटर आपूर्ति के लिए चक्कर लगाए थे। डीएम के अनुसार उन्होंने इन लोगों से मना कर दिया था। ई- टेंडरिंग की प्रकिया लगभग दो माह पहले हो चुकी है। ऐसे में अब लुधियाना के होजरी व्यापारी के वीडियो ने सनसनी मचा दी। सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि जो लुधियाना का जो व्यापारी डीएम को रिश्वत देने की बात कह रहा है, वह न तो इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुआ था और तो और पुलिस की मानें तो गिरफ्तारी से पहले वह हाथरस भी नहीं आया था।
आखिर इस व्यापारी ने वीडियो में कैसे यह कह दिया कि डीएम को स्वेटर आपूर्ति दिए जाने के एवज में रिश्वत दी गई है। वैसे शहर के जिन अन्य गारमेंट्स कारोबारियों के नाम पूरी साजिश में सामने आए हैं, उन पर इस व्यापारी का 30 लाख रुपये बकाया है। गिरफ्तारी के बाद बुधवार को इस व्यापारी की जमानत भी मंजूर हो गई। कोतवाली निरीक्षक मुरसान का कहना है कि अनुपम अग्रवाल पर ही अकेले लुधियाना के इस व्यापारी 23 लाख रुपये बकाया है।
जिन लोगों के नाम इस साजिश में सामने आए हैं, उनमें से कुछ लोगों ने ड्रेस और स्वेटर आपूर्ति के लिए टेंडर भी डाले थे। यह लोग टेंडर नहीं पा सके। ऐसे में पुलिस यह मान रही है कि डीएम को बदनाम करने के साथ साथ लुधियाना के व्यापारी का रुपया पचाने के मकसद से यह साजिश रची गई है। हालांकि कुछ अन्य पहलुओं पर भी गहनता से विवेचना की जा रही है। कोतवाली निरीक्षक मुरसान सत्यप्रकाश का कहना है कि विवेचना जारी है। तथ्यों को एकत्रित किया जा रहा है।
चेहरा लुधियाना के व्यापारी का, आवाजें कई हैं वीडियो में
हाथरस। जो वीडियो डीएम के हाथ लगा, उसमें लुधियाना का व्यापारी अकेला दिखाई दे रहा है। वह बातचीत कुछ अन्य लोगों से जरूर कर रहा है, लेकिन इन लोगों के चेहरे वीडियो में नहीं आए हैं। इन लोगों की आवाज जरूर वीडियो में हैं। इसमें एक व्यक्ति इस लुधियाना के व्यापारी से पूछ रहा है कि पीलीभीत, गोरखपुर में स्वेटर के टेंडर उठने का क्या खर्च हुआ है। वहीं हाथरस डीएम को क्या दिया है, इस पर लुधियाना का यह व्यापारी कह रहा है कि डीएम हाथरस को 20 तोले सोना, एक इनोवा क्रिस्टा कार और एफडी दी गई है। इधर, पुलिस की मानें तो इसमें लुधियाना के व्यापारी से बातचीत करने वालों की पहचान शहर के मुकेश कुमार, अनुपम अग्रवाल और उनके भाई के अलावा भरत सपड़िया के रूप में हुई है।