खागा। काशीपुर गांव में बुधवार को लगी आग ने कई परिवारों का सब कुछ छीन लिया। रात आग बुझाते कटी और सवेरा राख के ढेर पर हुआ। ग्रामीणों के हाथ में लगी कालिख अगले दिन भी नजर आई। गुरुवार को भी आग सुलगती रही। अपनी गृहस्थी को राख में बदला देख पीड़ितों की आंखें डबडबा गईं।
गांव की रहने वाली अनीता पत्नी रामकुमार, पार्वती पत्नी संतलाल रैदास ने बताया कि दोपहर बाद जब आग लगी तो हर तरफ चीख-पुकार मची थी। लोग पानी लेकर दौड़ने लगे लेकिन कुछ देर बाद गांव के कई घर आग से घिर गए। एक घंटे बाद ही लोगों के आशियानें जो तालाबी मिट्टी की पुताई से चमक रहे थे, उन पर कालिख छा गई। हर तरफ केवल छप्पर, कपड़ों, लकड़ियों की राख ही दिख रही थी। लोग पानी की बौछार कर रहे थे लेकिन आग की लपटें नया ठिकाना तलाशती बढ़ती ही जा रही थी।
हर व्यक्ति आग बुझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहा था। यह मेहनत आधी रात तक चली। इसके बाद लोगों ने अपने घरों के आसपास ही सो गए। सुबह उठे तो आशियानों की हालत देख रो पड़े। दोपहर तक बाबादीन पुत्र रामधनी के मकान के अंदर धन्नियां सुलगती हुई मिलीं। पीड़ितों ने बताया कि गांव के लोगों ने रात के बाद सुबह भी खाने का इंतजाम किया। लेकिन आग ने जो दर्द दिया उससे खाना हलक से ही नीचे नहीं उतरा। बच्चे भूखे थे इसलिए उन्होंने जरूर खाना खाया।
वयोवृद्ध ग्रामीण मिरचइया (75) ने बताया कि जब बुधवार दोपहर करीब तीन बजे जब आग लगी तब वह घर पर ही था। आग क शोर हुआ तो वह बाहर की ओर भागा और बस्ती से बाहर आ गया। बताया, आमतौर पर आग जिस घर में लगती है तो उसके आसपास के ही घर पहले चपेट में आते हैं लेकिन यहां जब उसके व रामभरोसे के घर में आग लगी तो अचानक आग की लपटें करीब 200 मीटर दूर दूसरे मोहल्ले के ननकू, राजू पाल व बल्ला के घर तक जा पहुंची। इस बीच में जो भी घर थे, वहां आग नहीं लगी। तेज हवाओं के चलते आग फैलती चली गई। आग ने आसपास के सभी घरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया।
किशनपुर के काशीपुर में आग के बाद जब पानी की बौछार करने की गई तो कुछ घरों की जर्जर दीवारें गिर गईं। सुबह लोग राख के ढेर में बचा समान तलाशते नजर आए। राख के ढेर में पैर मारते ही कभी जली कटोरी तो कभी चम्मच और थाली निकल आती। गांव के शैलेंद्र दुबे के घर का हाल बहुत ही भयावह था। यहां जब आग लगी तो रसोई के ऊपर छप्पर जलकर नीचे आ गया। शैलेंद्र भी रसोई में बचा सामान तलाशता रहा। गांव के राजू पाल ने बताया कि आग से आंगन में लगा हैंडपंप इतना गर्म हो गया कि उसे झूते ही हाथ झुलस गए। कुछ ने तो खुद पर पहले पानी डाला और फिर घर के अंदर से सामान बाहर निकाला।
काशीपुर गांव में बुधवार को हुए अग्निकांड में प्रशासनिक जांच के बाद 20 घरों में आग लगने की पुष्टि की गई है। इसमें तीन घर पूरी तरह से जलकर राख हुए जबकि 17 घरों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। तीन राजस्व टीमों द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी गई है। इन्हें सरकार की ओर से मुआवजा मिलेगा। तहसीलदार खागा शशिभूषण मिश्र के नेतृत्व में तीन राजस्व टीमों द्वारा काशीपुर गांव का सर्वे कराया गया। कानूनगो नरपत सिंह ने बताया कि नियमानुसार पीड़ितों को सरकारी सहायता मिलेगी। सभी 20 लोगों की ओर से मदद के लिए अपने आधार कार्ड, बैंक की पासबुक व अन्य जरूरी दस्तावेज जांच टीम को दिए जा चुके हैं। इसके अलावा चार ऐसे ग्रामीण भी चिह्नित किए गए हैं, जिनकी फसल को नुकसान पहुंचा है। इन्हें भी मुआवजा दिलाया जाएगा। इसके लिए मंडी समिति में ऑनलाइन आवेदन कराया जाएगा।
खागा। काशीपुर गांव में बुधवार को लगी आग ने कई परिवारों का सब कुछ छीन लिया। रात आग बुझाते कटी और सवेरा राख के ढेर पर हुआ। ग्रामीणों के हाथ में लगी कालिख अगले दिन भी नजर आई। गुरुवार को भी आग सुलगती रही। अपनी गृहस्थी को राख में बदला देख पीड़ितों की आंखें डबडबा गईं।
गांव की रहने वाली अनीता पत्नी रामकुमार, पार्वती पत्नी संतलाल रैदास ने बताया कि दोपहर बाद जब आग लगी तो हर तरफ चीख-पुकार मची थी। लोग पानी लेकर दौड़ने लगे लेकिन कुछ देर बाद गांव के कई घर आग से घिर गए। एक घंटे बाद ही लोगों के आशियानें जो तालाबी मिट्टी की पुताई से चमक रहे थे, उन पर कालिख छा गई। हर तरफ केवल छप्पर, कपड़ों, लकड़ियों की राख ही दिख रही थी। लोग पानी की बौछार कर रहे थे लेकिन आग की लपटें नया ठिकाना तलाशती बढ़ती ही जा रही थी।
हर व्यक्ति आग बुझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहा था। यह मेहनत आधी रात तक चली। इसके बाद लोगों ने अपने घरों के आसपास ही सो गए। सुबह उठे तो आशियानों की हालत देख रो पड़े। दोपहर तक बाबादीन पुत्र रामधनी के मकान के अंदर धन्नियां सुलगती हुई मिलीं। पीड़ितों ने बताया कि गांव के लोगों ने रात के बाद सुबह भी खाने का इंतजाम किया। लेकिन आग ने जो दर्द दिया उससे खाना हलक से ही नीचे नहीं उतरा। बच्चे भूखे थे इसलिए उन्होंने जरूर खाना खाया।
वयोवृद्ध ग्रामीण मिरचइया (75) ने बताया कि जब बुधवार दोपहर करीब तीन बजे जब आग लगी तब वह घर पर ही था। आग क शोर हुआ तो वह बाहर की ओर भागा और बस्ती से बाहर आ गया। बताया, आमतौर पर आग जिस घर में लगती है तो उसके आसपास के ही घर पहले चपेट में आते हैं लेकिन यहां जब उसके व रामभरोसे के घर में आग लगी तो अचानक आग की लपटें करीब 200 मीटर दूर दूसरे मोहल्ले के ननकू, राजू पाल व बल्ला के घर तक जा पहुंची। इस बीच में जो भी घर थे, वहां आग नहीं लगी। तेज हवाओं के चलते आग फैलती चली गई। आग ने आसपास के सभी घरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया।
किशनपुर के काशीपुर में आग के बाद जब पानी की बौछार करने की गई तो कुछ घरों की जर्जर दीवारें गिर गईं। सुबह लोग राख के ढेर में बचा समान तलाशते नजर आए। राख के ढेर में पैर मारते ही कभी जली कटोरी तो कभी चम्मच और थाली निकल आती। गांव के शैलेंद्र दुबे के घर का हाल बहुत ही भयावह था। यहां जब आग लगी तो रसोई के ऊपर छप्पर जलकर नीचे आ गया। शैलेंद्र भी रसोई में बचा सामान तलाशता रहा। गांव के राजू पाल ने बताया कि आग से आंगन में लगा हैंडपंप इतना गर्म हो गया कि उसे झूते ही हाथ झुलस गए। कुछ ने तो खुद पर पहले पानी डाला और फिर घर के अंदर से सामान बाहर निकाला।
काशीपुर गांव में बुधवार को हुए अग्निकांड में प्रशासनिक जांच के बाद 20 घरों में आग लगने की पुष्टि की गई है। इसमें तीन घर पूरी तरह से जलकर राख हुए जबकि 17 घरों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। तीन राजस्व टीमों द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी गई है। इन्हें सरकार की ओर से मुआवजा मिलेगा। तहसीलदार खागा शशिभूषण मिश्र के नेतृत्व में तीन राजस्व टीमों द्वारा काशीपुर गांव का सर्वे कराया गया। कानूनगो नरपत सिंह ने बताया कि नियमानुसार पीड़ितों को सरकारी सहायता मिलेगी। सभी 20 लोगों की ओर से मदद के लिए अपने आधार कार्ड, बैंक की पासबुक व अन्य जरूरी दस्तावेज जांच टीम को दिए जा चुके हैं। इसके अलावा चार ऐसे ग्रामीण भी चिह्नित किए गए हैं, जिनकी फसल को नुकसान पहुंचा है। इन्हें भी मुआवजा दिलाया जाएगा। इसके लिए मंडी समिति में ऑनलाइन आवेदन कराया जाएगा।