हैदरपुर वेटलैंड में पानी सूखा, उगने लगी वनस्पति
बिजनौर। गंगा खादर में बनी हैदरपुर वेटलैंड में प्रकृति अपना संतुलन खुद बना रही है। वेटलैंड में पानी करीब तीन साल बाद कम हो गया है। वेटलैंड में कहीं कहीं ही पानी के चैनल दिखाई दे रहे हैं। जाड़ों में ज्यादा बारिश न होने की वजह से ऐसा हुआ है। लेकिन इससे वेटलैंड को नुकसान होने के बजाए और फायदा होगा। वेटलैंड में नई वनस्पति उगेगी और मिट्टी में ऑक्सीजन मिलेगी। इससे जलीय वनस्पति पर निर्भर रहने वाले जीवों को फायदा होगा।
बिजनौर और मुजफ्फरनगर सीमा पर बने हैदपुर वेटलैंड में वन्य जीवों, पक्षियों और जलीय जीवों की भी भरमार है। वेटलैंड करीब छह हजार एकड़ जमीन में फैला है। इसमें गंगा के उफान और 12 महीने पानी भरा रहना बारिश पर निर्भर करता है। दो साल पहले बरसात खत्म होने के बाद भी काफी बारिश हुई थी। पिछले साल सर्दियों में तो करीब करीब हर सप्ताह बारिश हो जाती थी। इससे लंबे समय से वेटलैंड पानी से भरी हुई थी। लेकिन इस बार बरसात भी जल्दी खत्म हुई और जाड़ों में बादल नाम मात्र के ही बरसे। इससे करीब करीब पूरी ही वेटलैंड सूख सी गई है। हालांकि वेटलैंड में जगह जगह पानी के तालाब, छोटी धाराएं अब भी दिख रही हैं।
वेटलैंड का पानी सूखने को भी जीवों के लिए बहुत फायदेमंद बताया जा रहा है। वेटलैंड में जलीय जीवों व काफी प्रजातियों के पक्षियों का आहार केवल जलीय वनस्पति ही होती है। लगातार पानी भरा रहने से पानी में ऑक्सीजन हवा कम हो जाती है। जिससे पानी में डूबी वनस्पति की नई पौध उगती नहीं हैं और पुरानी भी नष्ट होने लगती है। इसके अलावा मिट्टी को पानी के साथ-साथ वायु से रिचार्ज करना भी जरूरी होता है। मिट्टी के अंदर तक हवा जाएगी तो वह पेड़ों की जड़ों को और ज्यादा विकसित करेगी। बरसात में वेटलैंड में फिर से पानी भर जाएगा। वेटलैंड के बीच में पेड़ भी उग आते हैं। बारासिंघा इन पेड़ पौधों की पत्तियां खाते हैं। सूखा होने पर ही वेटलैंड में नए पेड़ पौधे उग सकते हैं। पानी सूखने पर वेटलैंड की काई आदि भी सूख जाती है।