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न मैं हारी, न तुम जीते: पत्नी बोली- मैंने गलती मानी...तुम भी मानो; पति ने लगा लिया गले, दूर हुए शिकवे गिले
अमर उजाला ब्यूरो, बरेली
Published by: मुकेश कुमार
Updated Mon, 22 May 2023 12:32 PM IST
बरेली में राष्ट्रीय लोक अदालत में पारिवारिक विवाद के 113 मामले समझौते से निपटे। एक मामले में पति-पत्नी के विवाद तलाक तक पहुंच गया, लेकिन काउंसिलिंग के बाद एक-दूसरे ने गलती मानी तो बात गई।
बरेली के जिला न्यायालय परिसर में रविवार को राष्ट्रीय लोक अदालत लगी। लंबे समय से चल रहे पारिवारिक विवाद के 113 मामले यहां सुलह समझौते से निपटे। इसमें कुछ मामले पति-पत्नी के बीच विवाद के थे। जज ने इन जोड़ों का विवाद दूर कराया। इस दौरान एक महिला ने तो यहां तक कहा कि न मैं हारी, न तुम जीते। मैंने गलती मानी, तुम भी मानो अपनी...।
इसके बाद अलग होने के लिए अदालत के चक्कर काट रहे जोड़े और एक दूसरे की आंखों की किरकिरी बने लोग हंसी खुशी साथ जाने के लिए राजी हुए। पति ने पत्नी को गले लगा लिया। इस तरह दोनों के बीच शिकव गिले दूर गए। हालांकि कुछ जोड़ों के बीच तलाक और भरण पोषण का फैसला भी आपसी सहमति से तय हुआ। इस वजह से लगे अन्य आरोपों से मुक्ति मिली।
40,259 वादों का निस्तारण
लोक अदालत के नोडल अधिकारी अपर जिला जज अरविंद कुमार यादव ने बताया कि जनपद न्यायालय के 6642 मुकदमों के अलावा कुल 40,259 वादों का निस्तारण किया। इसमें परिवहन विभाग के 17,743, अपर सत्र न्यायालय के 463, सिविल के 455, मोटर एक्सीडेंट प्रतिकर के 269, फौजदारी के 5342 मामलों को भी सुलह समझौते के आधार पर तय किया गया। 12,521 ई चालानों व ई डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के जरिये 3807 मामलों का निपटारा किया गया।
जिला विधिक सेवा के सचिव सौरभ कुमार वर्मा ने बताया कि 6,40,96,897 रुपये मोटर दुर्घटना प्रतिकर के रूप में पीड़ित पक्षकारों को दिलाए गए। दूरसंचार के 178 मामलों के निस्तारण में 2,28,607 रुपये वसूले गए। बैंक ऋण से संबंधित 1152 मामलों में 10,84,70,000 रुपये वसूल किए गए।
इससे पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जनपद न्यायाधीश विनोद कुमार ने लोक अदालत का शुभारंभ किया। लोक अदालत को सफल बनाने में पैरा लीगल वालंटियर शुभम राय, रजत कुमार , तुषार तरूण , पूजा सिंह , सुधीर अग्रवाल, ज्वाला देव अग्रवाल , पुष्पेंद्र, साधना , सपना आदि ने सहयोग दिया।
केस-1 : आपसी सहमति से साथ जाने का फैसला
नवाबगंज की रहने वाली श्रामली (बदला हुआ नाम) का उनके पति के साथ साल 2012 से तलाक के लिए केस चल रहा था। धीरे-धीरे केस पर आने के दौरान पति-पत्नी के दौरान बातचीत शुरू हो गई थी। रविवार को लोक अदालत में मामले का निस्तारण किया गया। दोनों पति-पत्नी ने आपसी सहमति से साथ जाने का फैसला किया।
केस-2 : तलाक की सहमति पर हुआ फैसला
हरीश (बदला हुआ नाम) का लंबे समय से तलाक के लिए विवाद चल रहा था। पत्नी ने दहेज उत्पीड़न समेत अन्य कई आरोपों में मुकदमे लिखा दिए थे। लोक अदालत में मामले का समझौता हुआ, जिसमें पति और पत्नी के बीच तलाक की सहमति पर फैसला हुआ। फैसले के तहत ही पत्नी ने पति पर लगाए सारे आरोप वापस लिए।
केस-3: गुजारा भत्ते का दिलवाई रकम
शबीना (बदला हुआ नाम) का अपने पति से साल 2015 में तलाक हो गया था। पति से शबीना को गुजारा भत्ता देने पर भी सहमति हुई थी। शुरुआती एक दो साल तक पति ने गुजारा भत्ता दिया, लेकिन उसके बाद पैसा नहीं दिया। मामला दोबारा कोर्ट चला गया था जिसका रविवार को फैसला दिया गया। महिला को सारा पैसा दिलवाया गया।
केस-4: पैसा चुकाकर लोन से निजात पाई
आदुपुरा आंवला के एक महिला ने साल 2015 में स्टेट बैंक शाखा से केसीसी के लिए ऋण लिया था, जिसकी ब्याज सहित राशि 1.20 लाख हो चुकी थी, बैंक ने 82 हजार 673 रुपये में केस का निस्तारण किया। महिला ने बैंक का पैसा चुकाकर लोन से निजात पाई।
समझौता 2.20 लाख में किया गया
केस- 5 साल 2012 में देवचरा के एक युवक ने पंजाब नेशनल बैंक से 2.36 लाख रुपये का कृषि ऋण लिया, जिसे वह अब तक चुकाने में असमर्थ रहा। वर्तमान में बैंक ने कुल राशि 4.36 लाख बताई, जिसका समझौता 2.20 लाख में किया गया। युवक का आधा पैसा माफ करके बैंक ने अपने डूबे हुए पैसे में से करीब 50 फीसदी वसूल किया।
केस-6: लोन चुकान का दिया शपथपत्र
क्रेडिट कार्ड के लोन के एक मामले में एक युवक ने क्रेडिट कार्ड की 49 हजार की राशि का भुगतान नहीं किया था, समझौते के तहत लोक अदालत में दो हजार रुपये की पहली किस्त जमा की गई, बाकी पूरा पैसा जून में चुकाने के लिए युवक ने शपथपत्र दिया।
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