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बांदा। किशोरी के साथ सामूहिक दुराचार के प्रयास में दो युवकों व एक महिला को अदालत ने 10-10 साल का सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। घटना के करीब छह साल बाद फैसला आया।
कालिंजर थाने के एक गांव के पिता ने 11 जुलाई 2011 को पुलिस अधीक्षक को अर्जी दी थी कि हीरामणि तिवारी की 41 वर्षीय पत्नी आनंदी ने उसकी पुत्री (15) को 21 जून को शाम 8 बजे घर बुलाया। यहां भउवा पुत्र शारदा, भइया उर्फ दयाशंकर पुत्र शारदा उर्फ ददुआ गुप्ता व कलुवा पुत्र सिंगा पाल निवासी सढ़ा पहले से मौजूद थे।
किशोरी से दुराचार का प्रयास किया। पुत्री की गुहार सुनकर मां व ग्रामीण दौडे़। आरोपी धमकाते हुए भाग गए। एसपी के आदेश पर कालिंजर थाने में बउवा पुत्र शौकत, भइया पुत्र शारदा व कलुवा पुत्र सिंगा पाल के खिलाफ धारा 354/452 आईपीसी के तहत रिपोर्ट लिखी गई।
विवेचक ने तीनों आरोपियों के खिलाफ 376 (2) जी व आनंदी पत्नी हीरामणि के खिलाफ 120 बी का आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। 3 दिसंबर 2014 को आरोपी बउवा पुत्र शौकत की मौत हो गई। अपर सत्र न्यायाधीश/प्रथम त्वरित न्यायाधीश हरेंद्र कुमार के यहां सुनवाई हुई।
सहायक शासकीय अधिवक्ता शिवपूजन पटेल ने अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह पेश किए। न्यायाधीश ने पत्रावलियों व साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया। भइया उर्फ दयाशंकर व कल्लू को 10 साल का सश्रम कारावास व 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी।
अर्थदंड अदा न करने पर दो-दो माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। आभनंदी को 10 साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना की सजा हुई। भइया उर्फ दयाशंकर व कलुवा को दोष मुक्त कर दिया।
-किशोरी से दुराचार के प्रयास का मामला
-त्वरित न्यायाधीश ने 5-5 हजार जुर्माना भी किया
-दो आरोपी बरी, एक आरोपी की हो चुकी है मौत
अमर उजाला ब्यूरो
बांदा। किशोरी के साथ सामूहिक दुराचार के प्रयास में दो युवकों व एक महिला को अदालत ने 10-10 साल का सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। घटना के करीब छह साल बाद फैसला आया।
कालिंजर थाने के एक गांव के पिता ने 11 जुलाई 2011 को पुलिस अधीक्षक को अर्जी दी थी कि हीरामणि तिवारी की 41 वर्षीय पत्नी आनंदी ने उसकी पुत्री (15) को 21 जून को शाम 8 बजे घर बुलाया। यहां भउवा पुत्र शारदा, भइया उर्फ दयाशंकर पुत्र शारदा उर्फ ददुआ गुप्ता व कलुवा पुत्र सिंगा पाल निवासी सढ़ा पहले से मौजूद थे।
किशोरी से दुराचार का प्रयास किया। पुत्री की गुहार सुनकर मां व ग्रामीण दौडे़। आरोपी धमकाते हुए भाग गए। एसपी के आदेश पर कालिंजर थाने में बउवा पुत्र शौकत, भइया पुत्र शारदा व कलुवा पुत्र सिंगा पाल के खिलाफ धारा 354/452 आईपीसी के तहत रिपोर्ट लिखी गई।
विवेचक ने तीनों आरोपियों के खिलाफ 376 (2) जी व आनंदी पत्नी हीरामणि के खिलाफ 120 बी का आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। 3 दिसंबर 2014 को आरोपी बउवा पुत्र शौकत की मौत हो गई। अपर सत्र न्यायाधीश/प्रथम त्वरित न्यायाधीश हरेंद्र कुमार के यहां सुनवाई हुई।
सहायक शासकीय अधिवक्ता शिवपूजन पटेल ने अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह पेश किए। न्यायाधीश ने पत्रावलियों व साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया। भइया उर्फ दयाशंकर व कल्लू को 10 साल का सश्रम कारावास व 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी।
अर्थदंड अदा न करने पर दो-दो माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। आभनंदी को 10 साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना की सजा हुई। भइया उर्फ दयाशंकर व कलुवा को दोष मुक्त कर दिया।
-किशोरी से दुराचार के प्रयास का मामला
-त्वरित न्यायाधीश ने 5-5 हजार जुर्माना भी किया
-दो आरोपी बरी, एक आरोपी की हो चुकी है मौत
अमर उजाला ब्यूरो