उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने पीसीएस-2019 की प्रारंभिक परीक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए पदों की संख्या के मुकाबले 13 गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किए जाने का निर्णय लिया है। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम इसी आधार पर जारी किया गया लेकिन पदों की संख्या के मुकाबले 12 गुना अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण किए गए।
हालांकि यूपीपीएससी ने पीसीएस और एसीएफ/आरएफओ के 364 पदों के लिए ही विज्ञापन जारी किया था। इनमें पीसीएस के 309 पद शामिल थे। 300 पद सामान्य चयन और नौ पद विशेष चयन के साथ। इसके अलावा एसीएफ के दो और आरएफओ के 53 पद शामिल थे। प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन के बाद आयोग को नायब तहसीलदार के 165 पदों का अधियाचन मिल गया और पदों की संख्या बढ़कर 529 हो गई। प्रारंभिक परीक्षा में 6320 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है, जो पदों की संख्या के मुकाबले 12 गुना ही है।
आयोग के सचिव जगदीश के अनुसार बहुत से अभ्यर्थी अपनी-अपनी श्रेणी में न्यूनतम अर्हता अंक भी हासिल नहीं कर सके हैं। इसी वजह से पदों की संख्या के मुकाबले 13 गुना से कम अभ्यर्थी सफल हो सके हैं। गौरतलब है कि इससे पहले आयोग प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित करता था। पीसीएस-2019 से अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इस बदलाव के बाद से ही अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया था। परिणाम आने के बाद अभ्यर्थियों को विरोध और तीव्र होने के आसार है।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तर्ज पर उत्तरकुंजी जारी किए जाने की प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव किया है। आयोग अब अंतिम चयन परिणाम के बाद संशोधित उत्तरकुंजी, प्राप्तांक और श्रेणीवार/पदवार कटऑफ अंक जारी करेगा।
इससे पहले संशोधित उत्तरकुंजी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ ही जारी कर दी जाती थी। हालांकि इस बदलाव के बाद आयोग को कुछ राहत मिलेगी। पूर्व की व्यवस्था में प्री के रिजल्ट के साथ संशोधित उत्तरकुंजी जारी होने पर जो अभ्यर्थी उत्तरकुंजी से संतुष्ट नहीं होते थे, वे न्यायालय चले जाते थे। पिछली कई परीक्षाओं लगातार यही हुआ और प्रश्नों का विवाद न्यायालय चला गया।
इसकी वजह से पीसीएस परीक्षा का अंतिम चयन परिणाम जारी करने में आयोग को काफी देर हुई। इस बदलाव के बाद अब अंतिम चयन परिणाम आने तक अभ्यर्थी संशोधित उत्तरकुंजी नहीं देख सकेंगे और न ही प्रश्नों के विवाद का कोई मुद्दा उठेगा। अगर प्रश्नों को लेकर कोई विवाद होगा भी तो वह अंतिम चयन परिणाम जारी होने के बाद ही आयोग से बाहर आ सकेगा।
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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने पीसीएस-2019 की प्रारंभिक परीक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए पदों की संख्या के मुकाबले 13 गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किए जाने का निर्णय लिया है। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम इसी आधार पर जारी किया गया लेकिन पदों की संख्या के मुकाबले 12 गुना अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण किए गए।
हालांकि यूपीपीएससी ने पीसीएस और एसीएफ/आरएफओ के 364 पदों के लिए ही विज्ञापन जारी किया था। इनमें पीसीएस के 309 पद शामिल थे। 300 पद सामान्य चयन और नौ पद विशेष चयन के साथ। इसके अलावा एसीएफ के दो और आरएफओ के 53 पद शामिल थे। प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन के बाद आयोग को नायब तहसीलदार के 165 पदों का अधियाचन मिल गया और पदों की संख्या बढ़कर 529 हो गई। प्रारंभिक परीक्षा में 6320 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है, जो पदों की संख्या के मुकाबले 12 गुना ही है।
आयोग के सचिव जगदीश के अनुसार बहुत से अभ्यर्थी अपनी-अपनी श्रेणी में न्यूनतम अर्हता अंक भी हासिल नहीं कर सके हैं। इसी वजह से पदों की संख्या के मुकाबले 13 गुना से कम अभ्यर्थी सफल हो सके हैं। गौरतलब है कि इससे पहले आयोग प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित करता था। पीसीएस-2019 से अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इस बदलाव के बाद से ही अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया था। परिणाम आने के बाद अभ्यर्थियों को विरोध और तीव्र होने के आसार है।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तर्ज पर उत्तरकुंजी जारी किए जाने की प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव किया है। आयोग अब अंतिम चयन परिणाम के बाद संशोधित उत्तरकुंजी, प्राप्तांक और श्रेणीवार/पदवार कटऑफ अंक जारी करेगा।
इससे पहले संशोधित उत्तरकुंजी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ ही जारी कर दी जाती थी। हालांकि इस बदलाव के बाद आयोग को कुछ राहत मिलेगी। पूर्व की व्यवस्था में प्री के रिजल्ट के साथ संशोधित उत्तरकुंजी जारी होने पर जो अभ्यर्थी उत्तरकुंजी से संतुष्ट नहीं होते थे, वे न्यायालय चले जाते थे। पिछली कई परीक्षाओं लगातार यही हुआ और प्रश्नों का विवाद न्यायालय चला गया।
इसकी वजह से पीसीएस परीक्षा का अंतिम चयन परिणाम जारी करने में आयोग को काफी देर हुई। इस बदलाव के बाद अब अंतिम चयन परिणाम आने तक अभ्यर्थी संशोधित उत्तरकुंजी नहीं देख सकेंगे और न ही प्रश्नों के विवाद का कोई मुद्दा उठेगा। अगर प्रश्नों को लेकर कोई विवाद होगा भी तो वह अंतिम चयन परिणाम जारी होने के बाद ही आयोग से बाहर आ सकेगा।
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