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World Asthma Day 2023: अस्थमा की बीमारी में क्या होता है, कैसे बचें इस रोग से, जानें इसके लक्षण और उपचार
अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Wed, 03 May 2023 12:02 AM IST
विश्व अस्थमा दिवस दो मई यानि आज मनाया गया। इस मौके पर एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग में अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्थिति के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी थीम 'अस्थमा केयर फॉर ऑल' रही।
अस्थमा के बारे में जानकारी देते चिकित्सक
- फोटो : अमर उजाला
विश्व अस्थमा दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया अस्थमा की बीमारी में क्या होता है ? इस रोग को कैसे पहचानें और उपचार का सही तरीका क्या है।
डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि अस्थमा में श्वसन मार्गों यानि सांस की नालियों में सूजन के कारण श्वास नलियां संकुचित हो जाती हैं, जिससे रोगी को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। अस्थमा से ग्रसित ज्यादातर लोगों को मौसम के परिवर्तन के समय कभी-कभी लक्षण महसूस होते हैं, जबकि अन्य लोगों को लगातार लक्षणों का सामना करना पड़ जाता है। अधिकांश रोगियों को दिक्कत देर रात या सुबह के समय में ही होती है जबकि अन्य लोगों को कोई खास गतिविधि करते समय अस्थमा के लक्षण महसूस होते हैं।
ये हैं लक्षण
घरघराहट होना अस्थमा का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है, जिसमें सांस लेने के दौरान सीने से सीटी बजने जैसी ध्वनि आती है। इसके अलावा सांस फूलना, हंसने या व्यायाम करने के दौरान खांसी उठना, सीने में जकड़न व दर्द, बार-बार गला साफ करने का मन करना एवं अत्यधिक थकान महसूस करना अस्थमा के अन्य लक्षण हैं।
1- एलर्जी- एलर्जी होने से अस्थमा होने का खतरा बढ़ सकता है। 75 से 80 प्रतिशत मामलों में अस्थमा एलर्जिक होता है, अर्थात लोगों की कुछ चीजों से एलर्जी अस्थमा का कारण बन सकती है। एलर्जी में धूल, परागकण, फफूंदी और पालतू जानवरों की रूसी जैसी चीजें शामिल हैं।
2- पर्यावरणीय कारक- कार्य स्थल पर पाए जाने वाले रासायनिक गैसों एवं धूलों से सांस की नालियों में सूजन के कारण लोगों में अस्थमा विकसित हो सकता है। इसके अतरिक्त वायु मंडलीय प्रदूषण के कारण विशेष रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित नहीं हुई है में भी अस्थमा विकसित हो सकता है।
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3- जेनेटिक्स- यदि आपके परिवार में अस्थमा या एलर्जी संबंधी बीमारियों का इतिहास रहा है, तो आपको इस बीमारी के विकसित होने का अधिक खतरा है।
4- श्वसन संक्रमण -कुछ श्वसन संक्रमण जैसे कि रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (आरएसवी) छोटे बच्चों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा कर अस्थमा होने कि सम्भावना को बढ़ा सकते हैं।
अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ उपायों की मदद से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित कर एक सामान्य जीवन जी सकते हैं। आमतौर पर इन्हेल्ड स्टेरॉयड और अन्य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्थमा के लिए अत्यंत प्रभावी औषधियां हैं। चंकि इन्हेलर्स द्वारा दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है और अत्यंत कम दवा की मात्रा ही जरूरत पड़ती है इसलिए अस्थमा के उपचार के लिए इनहलेशन थैरेपी को सबसे सुरिक्षत, असरदार और बेहतरीन चिकत्सा पद्धति माना गया है।
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