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विश्व अस्थमा दिवस: इससे डरें नहीं, समझे और इलाज करें...समय पर लें दवा, मिलेगा छुटकारा, जानें विशेषज्ञ की सलाह
अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: भूपेन्द्र सिंह
Updated Tue, 02 May 2023 01:34 PM IST
विश्व अस्थमा दिवस पर आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में कैंप का आयोजन किया गया। इस दौरान दमा रोगियों की विशेष रूप से जांच करके उन्हें दवाएं दी गईं। उन्हें दमा का रेगुलर इलाज करने को प्रेरित किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में दमा रोगी अस्पताल पहुंचे और स्वास्थ्य लाभ लिया।
बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग में दमा (अस्थमा) के 350 मरीजों पर अध्ययन हुआ है। इसमें पाया कि 92 फीसदी मरीज नियमित दवा नहीं लेते। हालत बिगड़ने पर ये चिकित्सक को दिखाने आए। महज आठ फीसदी मरीज ही दवाएं नियमित ले रहे हैं। इनमें मर्ज गंभीर नहीं बना।
वक्ष एवं क्षय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि ओपीडी में आने वाले दमा के 350 मरीजों पर 20 महीने तक अध्ययन किया। इसमें तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाई। पहली, बीमारी कब से है, ओपीडी में फॉलोअप कराने कितनी बार आए, दवा और इन्हेलर कब लिया, हालत में क्या अंतर मिला। इसमें पाया कि 330 मरीज ऐसे मिले, जिन्होंने दवा खाई और आराम मिलने के बाद दवा लेना बंद कर दिया। 90 फीसदी (325 मरीज) फॉलोअप में भी नहीं आए।
इन बातों का रखें ध्यान
डॉक्टर ने बताया कि सबसे पहले हमें अस्थमा के कारणों का पता करना चाहिए। कई लोगों को एलर्जी से यह समस्या होती है। किसी-किसी को जेनेटिक हो जाता है। हमें इनके ट्रिगर्स पर विशेषध्यान रखना चाहिए। खासकर बच्चों को। जैसे धूल या तेज गंध वाली वस्तुओं से भी दिक्कत बढ़ जाती है। इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए। समय पर दवाइयां लेते रहना चाहिए। खासकर दवा लेने में गैप नहीं करना चाहिए। ताकि हमारी समस्या कंट्रोल पर रहे।
क्या है दमा की बीमारी
दमा की बीमारी में सांस नलिकाएं सूजन के कारण संकुचित हो जाती हैं। ये धूल-धुआं, परागकण, डस्ट माइट पालतू जानवरों के रूसी समेत अन्य वजह से हो सकती हैं। सांस लेने में परेशानी होती है और फेफड़ों तक पर्याप्त हवा नहीं पहुंचती है।
ये हैं दमा के लक्षण
सांस लेते वक्त सीटी की आवाज आना, सीने में जकड़न और घर्र-घर्र की आवाज होना। हंसने-व्यायाम करने में खांसी उठना, सीने में जकड़न और सांस लेने में परेशानी। बार-बार गला साफ करने का मन होना। थकान होना।
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