कोरोना काल में 188 दिनों की बंदी के बाद सोमवार को ताजमहल के दरवाजे सैलानियों के लिए खोल दिए जाएंगे। ताज के निर्माण होने के 372 साल में यह पहला मौका है, जब 188 दिन तक ताज के दरवाजे सैलानियों के लिए बंद रहे। इससे पहले महज दो बार ही ताजमहल आम पर्यटकों के लिए बंद किया गया था, लेकिन केवल 15 दिनों के लिए। अगली स्लाइड्स में जानिए कब और क्यों बंद हुआ था ताजमहल...
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के रिटायर्ड वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि ताजमहल का निर्माण 1632 से 1648 के बीच हुआ। इसके बाद से लेकर अब तक 372 सालों में ताज केवल तीन बार सैलानियों के लिए बंद किया गया।
सबसे पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ताजमहल को पूरी तरह पेड़ों की टहनियों से ढक दिया गया था। युद्ध 4 से 16 दिसंबर तक चला था, लेकिन उसकी सफाई में दो दिन और लगने से यह पर्यटकों के लिए 4 से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।
साल 1978 में सितंबर के महीने में यमुना में बाढ़ आई। पर्यटक ताज से यमुना में पानी देखने पहुंचते थे। सुरक्षा की दृष्टि से तब सात दिन तक ताजमहल को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। चमेली फर्श के नीचे तक पानी आ गया था। इसके बाद तीसरी बार ताजमहल कोरोना संक्रमण के कारण 17 मार्च से 20 सितंबर तक बंद रहा है।
छह महीने की बंदी के दौरान ताजमहल में तीन दिवसीय शाहजहां का उर्स नहीं हो पाया। यह पहला मौका है जब शाहजहां का उर्स आयोजित नहीं किया गया। यही नहीं, दो बार ईद की नमाज भी ताजमहल में अदा नहीं की जा सकी। कोरोना संक्रमण के कारण ताजमहल के गेट बंद कर दिए गए थे। इस दौरान केवल साफ-सफाई और सुरक्षा के लिए ही निश्चित संख्या में कर्मचारियों को प्रवेश दिया गया था।