अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के लिए एटा जिले के जलेसर में अष्टधातु से अनूठा घंटा बनाया गया है। इसका वजन 21 कुंतल है। खास बात यह है कि इस घंटे को हिंदू-मुस्लिम कारीगरों ने तैयार किया है। इसमें करीब 11 लाख रुपये की लागत आई है। जलेसर नगर पालिका अध्यक्ष इस घंटे को श्रीराम मंदिर प्रबंधन को दान करेंगे। अगली स्लाइड्स में जानिए इस अनूठे घंटे की खासियत...
दाऊदयाल 30 वर्षों से विभिन्न आकृतियों और आकारों की घंटे-घंटियां बना रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी टीम ने राममंदिर के लिए 2,100 किलोग्राम वजन का घंटा बनाया है। उनकी टीम में मुस्लिम कारीगर भी हैं। इनमें इकबाल मिस्त्री का खास योगदान रहा है। मिस्त्री कहते हैं कि यह पहली बार है, जब उन्होंने इस आकार की घंटी पर काम किया है। उनका सौभाग्य है कि उन्हें राममंदिर के लिए यह कार्य करने का मौका मिला।
दाऊदयाल कहते हैं कि हमारे मुस्लिम भाइयों को डिजाइनिंग, पीस और पॉलिशिंग में महारत हासिल है। फिर भी जब आप इस आकार का घंटा बनाने पर काम करते हैं, तो कठिनाई का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। हम राममंदिर के लिए इसे बना रहे थे। हमारे मन के पीछे असफलता का डर भी बना हुआ था। इकबाल मिस्त्री के अनुसार, पिघले हुए धातु को डालने में पांच सेकंड की देरी होने पर भी पूरा प्रयास बेकार चला जाता है।
अपनी उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए इकबाल मिस्त्री ने बताते हैं कि इस घंटे की सबसे अनोखी बात है कि यह ऊपर से नीचे तक एकसार है। इसमें कई टुकड़े साथ नहीं जोड़े गए हैं। इसी कारण से यह काम बहुत मुश्किल था। यह घंटा सिर्फ पीतल से नहीं बल्कि 'अष्टधातु' से बना है। जो आठ धातुओं- सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारा का संयोजन है। इसकी आवाज 15 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी।
जलेसर नगर पालिका अध्यक्ष विकास मित्तल ने इस अनूठे को अपने कारखाने में तैयार कराया है। उनका दावा है कि यह भारत का सबसे बड़ा घंटा है। इसे राममंदिर को दान किया जाएगा। इस बनाने में 25 कारीगरों की एक टीम लगी, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों थे। लगभग 11 लाख रुपये की लागत से बना यह घंटा दो महीने में तैयार हुआ है। इससे पूर्व मित्तल ने योगी आदित्यनाथ को 51 किलो का घंटा भी भेंट किया था, जब वो मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी पहली जनसभा को संबोधित करने के लिए एटा आए थे।