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अनंतनाग में देरी क्यों: आतंकियों ने बदले पैंतरे, पहाड़ों की गुफाओं में बना रहे ठिकाना; पाक ने सिखाए नापाक गुर

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: kumar गुलशन कुमार Updated Mon, 18 Sep 2023 03:53 PM IST
Anantnag encounter: Terrorists changed tactics making hideouts in caves of straight hills
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कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले में छठे दिन भी ऑपरेशन जारी है। सुरक्षाबलों के लिए जिले के कोकरनाग के गडूल के घने जंगल और सीधे खड़े पहाड़ चुनौती बन रहे हैं। बताया जा रहा है कि घने जंगल और पहाड़ों में बने प्राकृतिक गुफाओं के बीच आतंकी छिपे हुए हैं। इन ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए सुरक्षाबलों ने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर, आईईडी आदि का प्रयोग कर आतंकियों के करीब पांच ठिकाने मलियामेट कर दिए गए हैं। यहां से एक जला हुआ शव भी बरामद किया गया है, जो माना जा रहा है कि आतंकी का है। ऑपरेशन अभी जारी है।




सीमा पार से घुसपैठ करके आने वाले आतंकियों ने पनाह लेने की रणनीति बदल दी है। यह आतंकी अब रिहायशी इलाकों की जगह पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद गुफाओं का सहारा ले रहे हैं। 70 से 80 डिग्री ऊंचाई वाले पहाड़ों में छिपकर आतंकी वारदात कर रहे हैं, ताकि सेना को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके। आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए गुफाओं से बाहर निकलते हैं और फिर वहीं छिप जाते हैं। 

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आतंकवादियों के लिए यह गुफाएं स्थानीय ओजी वर्कर तलाश रहे हैं। इन गुफाओं में कैसे रहना है, इसके लिए आतंकियों को पाकिस्तान से बाकायदा प्रशिक्षण देकर भेजा जा रहा है। इन गुफाओं में रहने के लिए आतंकियों को विशेष कपड़े, जूते, हाथों में पहनने वाले दस्ताने, एक बार खाने पर महीने तक भूख न लगने वाले खाद्य पदार्थ, दवाइयां आदि देकर भेजा रहा है।

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सभी चीजों का कब कैसे और कहां इस्तेमाल करना है। इसके लिए एलओसी के नजदीक पाकिस्तानी सेना के कैंपों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पीर पंजाल की पहाड़ियों में छिपे आतंकी ऐसा ही कर रहे हैं। राजोरी, पुंछ, रियासी और अब अनंतनाग के कोकरनाग में भी आतंकी भी गुफाओं का सहारा ले रहे हैं।

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जानबूझ कर खींच रहे लंबा ऑपरेशन
आतंकियों ने अपनी रणनीति बदली है। राजोरी-पुंछ में भी उन्होंने वैसा ही किया। घने जंगलों और गुफाओं में ठिकाने बनाए। वह जानबूझ कर ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि रिहायशी इलाकों में ठिकाना बनाने से वह जब घेरे जा रहे थे तो उन्हें बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था। इसलिए अब उन्होंने रणनीति बदली है। वह जानबूझ कर सेना को इस तरह की जगहों में मुठभेड़ के लिए उकसा रहे हैं, ताकि नुकसान ज्यादा हो। वह लोग कई दिनों तक मुठभेड़ को लंबा खींच रहे हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उपस्थिति दर्ज करा सकें। लंबा ऑपरेशन चलाकर मौके से भाग जाने की फिराक में हैं। - एसपी वैद, पूर्व डीजीपी।

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आठ हजार फुट की ऊंचाई पर जहांगीर सरूरी का ठिकाना

बता दें कि किश्तवाड़ के कुख्यात आतंकी जहांगीर सरूरी ने भी अपने लिए कुछ इसी तरह का ठिकाना किश्तवाड़ में आठ हजार फुट की ऊंचाई पर जंगल में बना रखा था। कुछ ही दिन पहले सेना और पुलिस ने मिलकर सरूरी के इस ठिकाने का पता लगाया था।

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