चार साल पहले आज ही के दिन यानी 8 सितंबर को मासूम प्रिंस की चाकू से हुई नृशंस हत्या के मामले में पुलिस की ओर से आरोपी बनाए गए बस चालक अशोक के परिवार की हालत दयनीय है। पुलिस की पिटाई और जेल से आने के बाद उसका वाहन चलाने का पेशा छूट गया है। मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण का काम करता है। धामडौज गांव की रहने वाली अशोक की पत्नी ममता कहती हैं कि जेल से बाहर आने के बाद उनके पति की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। पैर कमजोर हैं। अब वह वाहन भी नहीं चला सकते हैं। अशोक किसी से मिलता नहीं है और न ही बात करता है। इस घटना के बाद उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। आज उसके परिवार की जो स्थिति है उससे उसके गांव वाले भी बेहद दुखी रहते हैं। अशोक की पत्नी और बच्चों का जीवन इस हादसे के बाद कैसा है और प्रिंस के घर का अब क्या हाल है ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...
अशोक की मां बेटे के जेल जाने के बाद सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी मौत हो गई। पिता बुजुर्ग हैं वह मजदूरी नहीं कर सकते हैं। ममता पहले निजी स्कूल में काम करती थी। थोड़ा बहुत पैसा मिलता था, वह बच्चों की पढ़ाई पर लगता था। उसकी भी नौकरी छूट गई है। उसके दो बच्चे हैं। पहले अशोक के दोनों बच्चे गांव के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे। पैसे के अभाव में अब वह सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं।
अशोक के साथ गलत होने की बात कहते हैं ग्रामीण
गांव के रहने वाले सतीश राघव कहते हैं कि अशोक बहुत ही मिलनसार था। उसके चेहरे पर चमक हुआ करती थी। अब तो वह किसी से बात ही नहीं करता है। उसके साथ बहुत बुरा हुआ है। गांव के रहने वाले राम मेहर कहते हैं चार साल पहले जब गांव में यह बात पता चली थी लोग उसे भला बुरा बोल रहे थे। सीबीआई की जांच के बाद उसे छोड़ दिया गया है। गांव के लोगों ने पहले उसके परिवार की मदद भी की मगर अब कितने दिन तक लोग मदद करेंगे।
साल भर पहले प्रिंस के घर आई छोटी बहन
प्रिंस की एक बहन पहले थी। साल भर पहले एक और बहन के आने के बाद घर के माहौल में बड़ा बदलाव हुआ है। प्रिंस के माता-पिता के जीवन में फिर से उल्लास भरा है लेकिन ये सब भी प्रिंस की यादों को धुंधला नहीं कर सकी हैं और आज भी हर दिन वो अपने बच्चे को याद करते हैं।
पूरे देश से आज भी आते हैं प्रिंस के माता-पिता को फोन
चार साल पहले जो लोग प्रिंस के घर के आसपास रहते थे उनमें से कुछ दूर चले गए हैं लेकिन वह आज भी इस केस की जानकारी लेते रहते हैं। वहीं इस खबर का पूरे देश पर कैसा असर हुआ था ये इस बात से ही समझा जा सकता है कि घटना के बाद से तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों से भी प्रिंस के माता-पिता को फोन आते थे और वह मदद के लिए पूछते थे। तमिलनाडु के बहुत से ऐसे लोग हैं जिनको हिंदी तक नहीं आती है लेकिन, आज भी वो लोग फोन करके मुकदमे की स्थिति की जानकारी लेते रहते हैं।