श्रीनगर के आलूचीबाग इलाके में स्थित श्रीनगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के ट्रांसपोर्ट यार्ड पर एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने छापा मारा। इस दौरान अधिकारियों ने कुछ लोगों से पूछताछ की। फिलहाल एसीबी ने मामला दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी है।
एसीबी टीम ने व्यक्तिगत शौचालय नाम की एक योजना में कुप्रबंधन की शिकायतें मिलने के बाद एसएमसी के यार्ड पर छापा मारा। एसीबी के अनुसार उनको एसएमसी और सोशल वेलफेयर इंडिया नाम की एनजीओ ने योजना में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और लोगों के पैसे गबन करने की शिकायत की थी।
इसके आधार पर टीम ने अचानक छापामारी की। इस दौरान पाया गया कि एक एग्रीमेंट के आधार पर इस एनजीओ को 218 आईएचएचएल और 9 ट्विन स्टोरेज पिट का निर्माण करना था। इसमें एक आईएचएचएल का खर्च 17490 जबकि एक पिट का खर्च 12000 आना था। इस एनजीओ द्वारा कार्य पूरा होने का सर्टिफिकेट भी जारी किया गया था। वहीं एसएमसी के कमिश्नर को तत्कालीन एक्सईएन और जेई द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन कर कार्य पूरा होने की रिपोर्ट सौंपी गई थी जबकि कोई निर्माण हुआ ही नहीं था।
इतना ही नहीं इन सब की मिलीभगत से 38,81,612 रुपये एनजीओ के खाते में रिलीज भी कर दिये गए थे। यह मामला सामने आने पर एसीबी श्रीनगर ब्रांच द्वारा अधिकारियों के खिलाफ धारा 120 और पीसी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इसमें एसएमसी के तत्कालीन जेई जावेद इकबाल शाह, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मरूफ अहमद, एनजीओ के डायरेक्टर जहीर अब्बास भट्टी और जनरल सेक्रेट्री इशरत अशरफ शामिल हैं। इस मामले में एसीबी ने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इन अधिकारियों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की गई और इस दौरान उन्हें कई दस्तावेज भी हासिल हुए। फिलहाल एसीबी द्वारा तफ्तीश जारी है।
श्रीनगर के आलूचीबाग इलाके में स्थित श्रीनगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के ट्रांसपोर्ट यार्ड पर एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने छापा मारा। इस दौरान अधिकारियों ने कुछ लोगों से पूछताछ की। फिलहाल एसीबी ने मामला दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी है।
एसीबी टीम ने व्यक्तिगत शौचालय नाम की एक योजना में कुप्रबंधन की शिकायतें मिलने के बाद एसएमसी के यार्ड पर छापा मारा। एसीबी के अनुसार उनको एसएमसी और सोशल वेलफेयर इंडिया नाम की एनजीओ ने योजना में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और लोगों के पैसे गबन करने की शिकायत की थी।
इसके आधार पर टीम ने अचानक छापामारी की। इस दौरान पाया गया कि एक एग्रीमेंट के आधार पर इस एनजीओ को 218 आईएचएचएल और 9 ट्विन स्टोरेज पिट का निर्माण करना था। इसमें एक आईएचएचएल का खर्च 17490 जबकि एक पिट का खर्च 12000 आना था। इस एनजीओ द्वारा कार्य पूरा होने का सर्टिफिकेट भी जारी किया गया था। वहीं एसएमसी के कमिश्नर को तत्कालीन एक्सईएन और जेई द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन कर कार्य पूरा होने की रिपोर्ट सौंपी गई थी जबकि कोई निर्माण हुआ ही नहीं था।
इतना ही नहीं इन सब की मिलीभगत से 38,81,612 रुपये एनजीओ के खाते में रिलीज भी कर दिये गए थे। यह मामला सामने आने पर एसीबी श्रीनगर ब्रांच द्वारा अधिकारियों के खिलाफ धारा 120 और पीसी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इसमें एसएमसी के तत्कालीन जेई जावेद इकबाल शाह, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मरूफ अहमद, एनजीओ के डायरेक्टर जहीर अब्बास भट्टी और जनरल सेक्रेट्री इशरत अशरफ शामिल हैं। इस मामले में एसीबी ने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इन अधिकारियों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की गई और इस दौरान उन्हें कई दस्तावेज भी हासिल हुए। फिलहाल एसीबी द्वारा तफ्तीश जारी है।