प्रबोधिनी एकादशी का पर्व बुधवार को मनाया जाएगा। इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि चार माह तक शयन करने के बाद भगवान विष्णु इस दिन नींद से जागते हैं। इन चार महीनों तक किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। प्रबोधिनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस दिन व्रत के साथ भगवान विष्णु के पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है।
क्या है महत्व
पंडित प्रियरंजन त्रिपाठी के अनुसार, प्रबोधिनी एकादशी व्रत करने से व्रतियों को सहस्रों अश्वमेध और सैकड़ों राजसूर्य यज्ञों का फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से उसे वीर, पराक्रमी और यशस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है। यह व्रत पापनाशक, पुण्यवर्धक तथा ज्ञानियों को मुक्तिदायक सिद्ध होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्नता देने वाला और विष्णु धाम की प्राप्ति कराने वाला है। इस व्रत को करने से समस्त तीर्थों का घर में निवास हो जाता है।