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Amritpal Singh gave his phone to Joga Singh and made him run away in a different direction
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Amritpal Singh: पुलिस को चकमा देने के लिए अमृतपाल ने रची थी ये साजिश, इसलिए जोगा सिंह को अलग दिशा में भगाया
अमर उजाला नेटवर्क, जालंधर/होशियारपुर/पठानकोट/अमृतसर
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 01 Apr 2023 09:32 AM IST
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। पुलिस को रोजाना नई जानकारी सामने आ रही हैं। और खुद दूसरे रास्ते से निकल गया, ताकि सही लोकेशन पता न चल सके। इसके साथ ही अमृतपाल सिंह के संग उसके पुराने साथी जुड़ गए हैं, एक एप के जरिए यह लोग आपस में संपर्क में है।
वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। पुलिस लगातार छापामारी कर रही है लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। उधर, अमृतपाल को लेकर नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। होशियारपुर के धार्मिक स्थल से फरार हुए अमृतपाल सिंह और पपलप्रीत सिंह अलग-अलग हो गए हैं।
इसके साथ ही अमृतपाल सिंह के संग उसके पुराने साथी जुड़ गए हैं, एक एप के जरिए यह लोग आपस में संपर्क में है। 29 मार्च दोपहर के बाद दोनों ने एक दूसरे का साथ छोड़ दिया था। अमृतपाल सिंह और पपलप्रीत सिंह अलग क्यों हुए, इस बात को जानकर एजेंसियां खुद हैरत में हैं। उनके साथियों से पूछताछ की जा रही है।
अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की होशियारपुर-फगवाड़ा रोड के आसपास के करीब एक दर्जन गांवों में तलाश हो रही है। 28 मार्च को जब देर रात होशियारपुर-फगवाड़ा मार्ग पर काउंटर इंटेलिजेंस की टीम एक फॉर्च्यूनर और इनोवा गाड़ी का पीछा कर रही थी, तब इनोवा गाड़ी में सवार दो युवकों ने वाहन को मरनाईयां गांव की ओर घुमा लिया था, लेकिन रास्ता बंद होने की वजह से वो चलती गाड़ी छोड़कर फरार हो गए।
पुलिस के अनुसार इनोवा में अमृतपाल सिंह के साथ उसका साथी पपलप्रीत सिंह भी मौजूद था। सूत्रों के मुताबिक, 27 मार्च को अमृतपाल सिंह और उसके साथी कोटफतूही के पास एक धार्मिक स्थल पर ठहरे थे। 28 मार्च की रात को वहां से रवाना हो गए थे।
काउंटर इंटेलिजेंस टीम को इसकी गुप्त सूचना मिली, जो 28 मार्च की रात उनका पीछा कर रही थी। बताया जाता है कि अमृतपाल सिंह की इनोवा गाड़ी के आगे एक पायलट गाड़ी भी चल रही थी, जो उसे आगे किसी खतरे की जानकारी दे रही थी। ऐसी जानकारी भी सामने आ रही है कि अमृतपाल सिंह का पहला वीडियो भी कोट फतूही इलाके के पास स्थित उक्त धार्मिक स्थल में बनाया गया था। पुलिस को शक है कि अमृतपाल और उसके साथी अब भी इसी इलाके में छिपे हैं।
अमृतपाल ने अपना फोन जोगा को दे अलग दिशा में भगाया
सूत्रों के अनुसार, जिस दिन पंजाब पुलिस ने अमृतपाल का पीछा कर उसे काबू करने की कोशिश की, तो जोगा सिंह भी साथ था। अमृतपाल ने जोगा सिंह के फोन से भी कई लोगों को फोन किया था। उसके बाद अमृतपाल ने अपना फोन देकर जोगा सिंह को अलग दिशा में भगा दिया था और खुद दूसरे रास्ते से निकल गया, ताकि सही लोकेशन पता न चल सके।
होशियारपुर में सर्च के दौरान पुलिस को मिली कार का लिंक भी साहनेवाल से बताया जा रहा था। आठ महीने बाद जोगा सिंह साहनेवाल के गुरुद्वारा रेडू साहिब में आया था और वहां बाबा मेजर सिंह से मिला था। कुछ समय बाद वहां से चला गया। अब उसे पुलिस ने काबू कर लिया है।
सांसद के बिगड़े बोल, कहा- अमृतपाल को पाक चले जाना चाहिए
पंजाब पुलिस को 14 दिन से छका रहे खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने पाकिस्तान भाग जाने की विवादित सलाह दी है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष और खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर उपचुनाव में जीत हासिल की थी। 77 साल के सिमरनजीत सिंह मान पहले भी कई विवादों में रह चुके हैं।
सिमरनजीत सिंह मान का जन्म साल 1945 में शिमला में हुआ था। चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज से स्नातक करने के बाद 1967 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल हुए। इस दौरान वे पुलिस अधीक्षक (सतर्कता), एसपी (मुख्यालय), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) फिरोजपुर, एसएसपी फरीदकोट और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के ग्रुप कमांडेट सहित विभिन्न पदों पर रहे।
वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़ू हैं। उन्होंने 18 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में नौकरी छोड़ दी थी। मान खालिस्तान के समर्थक रहे हैं और विभिन्न मंचों पर सिखों और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल जोगिंदर सिंह मान विधानसभा स्पीकर रह चुके थे।
अमृतपाल के कहने पर सरबत खालसा बुलाना सही नहीं होगा: भाई मोहकम सिंह
दमदमी टकसाल के पूर्व प्रवक्ता व संयुक्त अकाली दल के पूर्व प्रमुख भाई मोहकम सिंह ने कहा कि सिख कौम में सरबत खालसा (धार्मिक सम्मेलन) हमेशा किसी पंथक मुद्दे पर बुलाया जाता है। पंथ के सामने अगर गंभीर मुद्दे हों और उनका हल निकलता न दिखाई न दे रहा हो या अलग-अलग नेता मुद्दों पर अलग-अलग विचार रख रहे हों, ऐसी स्थिति में सरबत खालसा बुलाया जाता है।
मोहकम सिंह खुद सरबत खालसा के आयोजकों में से एक रहे हैं। उनका कहना है कि इसके लिए कम से कम तीन महीने का समय चाहिए होता है, क्योंकि सरबत खालसा में दुनिया भर से सिखों के प्रतिनिधियों को शामिल होकर अंतिम फैसला लेना होता है। इस समय कोई भी बड़ा पंथक मुद्दा नहीं है। न ही यह बताया जा रहा है कि किस पंथक मुद्दे पर सरबत खालसा होगा।
भाई मोहकम सिंह कहते हैं कि पहले वर्ष 1986 में सरबत खालसा बुलाया गया था, तब अकाल तख्त के नव निर्माण, राजीव लोंगोवाल समझौता, जेलों में बंद सिख आदि मुख्य मुद्दे थे। इसके बाद वर्ष 2015 में सरबत खालसा हुआ। इस दौरान डेरा मुखी को एसजीपीसी की ओर से नियुक्त जत्थेदारों की ओर से माफी दिए जाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के संबंध में किसी को भी दोषी न तय किए जाने, गलत ढंग से एफआईआर दर्ज होने जैसे मुद्दे थे।
अब अमृतपाल वीडियो जारी करके श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सरबत खालसा बुलाने के लिए कह रहा है, लेकिन कोई मुद्दा नहीं बताया जा रहा। ऐसे हालात में सरबत खालसा कैसे बुलाया जा सकता है। सरबत खालसा बुलाना कोई आसान काम नहीं होता। किसी के निजी विचारों से सरबत खालसा नहीं बुलाया जा सकता। वर्ष 2015 में सरबत खालसा के जत्थेदार बनाए गए जगतार सिंह हवारा से भी सलाह की जानी जरूरी है।
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