सिर पर दउरा और सुपली लेकर घाटों की ओर जाते लोग, पीछे-पीछे ‘सुनिह अरज छठी मइया, बढ़े कुल-परिवार...’ ‘हे छठी मईया हर लीं बलैया हमार...’ ‘कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए...’, ‘रिमिक झिमिक बोलेलीं छठी मइया...’ जैसे गीत गाती महिलाएं, पटाखे जलाते बच्चे, ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच छठी मईया के जयकारे...।
कुछ ऐसा ही नजारा रविवार शाम और सोमवार सुबह को छठ महापर्व पर महानगर के राप्ती नदी के रामघाट, गुरु गोरक्षनाथ घाट, सूर्यकुंड, गोरखनाथ, महेसरा, मानसरोवर, रामगढ़ताल सहित तमाम घाटों पर दिखा। व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी और उदय सूर्य को अर्घ्य दिया और संतान, पति के साथ परिवार के सदस्यों के सुख-समृद्धि की मंगलकामना की।