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Varanasi Birthday: बनारस, काशी और अस्सी से वाराणसी तक का सफर, जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मिलती है मुक्ति

किरन रौतेला, अमर उजाला, वाराणसी Published by: किरन रौतेला Updated Wed, 24 May 2023 01:17 PM IST
सार

Varanasi Birthday: आज वाराणसी का जन्मदिन है। 24 मई 1956 को वाराणसी का आधिकारिक नाम स्वीकार किया गया था। उससे पहले वाराणसी को बनारस, काशी अस्सी के नाम से जाना जाता था। 

Varanasi Birthday Journey from Banaras, Kashi and Assi to Varanasi, freedom from the cycle of birth and rebir
बनारस शहर। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार
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बनारस, काशी या वाराणसी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। एक बार एक अंग्रेजी लेखक मार्क ट्वेन ने लिखा था कि बनारस इतिहास और परंपरा से भी पुराना है, यहां तक कि किंवदंतियों से भी पुराना है। 



आज हम वाराणसी की बात इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि आज वाराणसी का जन्मदिन है। 24 मई 1956 को वाराणसी का आधिकारिक नाम स्वीकार किया गया था। उससे पहले वाराणसी को बनारस, काशी अस्सी के नाम से जाना जाता था। 

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हर शहर का अपना इतिहास और जियोग्राफी होती है। लेकिन आधिकारिक नाम गजेटियर और दस्तावेजों में दर्ज होना जरूरी होता है। वाराणसी का नाम भी दस्तावेज में दर्ज होने के बाद से आधिकारिक हुआ। हांलाकि अभी भी लोगों की जुबां पर काशी और बनारस का नाम चढ़ा है लेकिन जिले का आधिकारिक नाम वाराणसी ही है। 

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बनारस शहर। - फोटो : अमर उजाला।
यहां मिलती है जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति 
देवाधिदेव महादेव और पार्वती का निवास, वाराणसी की उत्पत्ति के बारे में अभी तक किसी के पास सटीक जानकतारी नहीं है। लेकिन ये मान्यता है कि काशी की धरती पर मरने वाला जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त करता है। बनारस 
3000 से अधिक वर्षों से सभ्यता का केंद्र है। 

संस्कृत, योग, अध्यात्मवाद और हिंदी भाषा फला फूला
विश्वप्रसिद्ध सारनाथ के बारे में कौन नहीं जानता। भगवान बुद्ध ने आत्मज्ञान के बाद पहला उपदेश यहीं दिया था। वाराणसी शिक्षा का भी केंद्र रहा है। यहां  संस्कृत, योग, अध्यात्मवाद और हिंदी भाषा फला फूला है। नृत्य और संगीत के लिए भी बनारस दुनिया में जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध सितार वादक  रविशंकर और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (प्रसिद्ध शहनाई वादक) सभी इसी शहर के पुत्र हैं। 
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