स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के परिणाम में वाराणसी नगर निगम राष्ट्रीय स्तर पर तीन पायदान और प्रदेश स्तर पर एक पायदान नीचे खिसका है। इसके पीछे बड़ा कारण शहर की सफाई व्यवस्था का प्रमाणीकरण नहीं होना है। पिछले साल की तुलना में वाराणसी नगर निगम ने संसाधन के साथ ही सुविधा विस्तार तो किया, मगर दो साल से प्रयास के बाद भी अपनी व्यवस्था का सर्टिफिकेशन नहीं करा पाया। इसके अलावा शहर की बदहाल सीवर व्यवस्था और सड़कें भी इस रेस में पिछड़ने का बड़ा कारण हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था पिछले कुछ सालों में बड़े बदलाव की ओर से बढ़ी है, मगर छोटी-छोटी लापरवाहियों ने वाराणसी नगर निगम को आंकड़ों में पीछे ढकेल दिया। दरअसल, स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 छह हजार अंकों का हुआ है। इसमें सिटीजन वाइस व सर्टिफिकेशन के 3600 अंक हैं, इसी में वाराणसी नगर निगम अपनी बढ़त नहीं बना पाया और उसकी रैंकिंग बिगड़ी।
प्रमाणीकरण नहीं होने से रैंकिंग में पिछड़ा नगर निगम
सर्वेक्षण में प्रमुख प्रश्नों में लोगों से लिए फीडबैक 600, अनुभव 300, इंगेजमेंट 450, स्वच्छता एप 350, इनोवेशन के 100 अंक हैं। वहीं, सर्टिफिकेशन के 700 अंक हैं। वाराणसी नगर निगम की व्यवस्था के प्रमाणीकरण के लिए शासन स्तर से ही दो साल पहले जीओ स्टेट को जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर, प्रमाणीकरण तो दूर दो साल में कंपनी के कर्मचारी तक बनारस नहीं पहुंच पाए।
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इस सर्वेक्षण में वाराणसी को 3542.15 अंक मिला है, प्रमाणीकरण नहीं होने की वजह से 700 अंकों वाले मामले में बनारस काफी पिछड़ गया। इसके अलावा सिटीजन वायस के 1800 अंकों में भी जागरुकता की कमी के चलते 1288.45 अंक मिले। इसमें ऑनलाइन केवल 26 हजार लोगों ने ही फीडबैक दिया, जबकि ज्यादातर शहरों में यह आंकड़ा एक लाख से ऊपर का है।
नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने कहा कि संसाधनों को बेहतर करने के साथ ही लोगों को भी सुविधाओं के प्रति जागरूक किया जाए। शहर में डोर टू डोर कुड़ा कलेक्शन के साथ ही उठान की समुचित व्यवस्था है। नागरिकों को और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
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स्वच्छता सर्वेक्षण में सर्विस लेवल प्रोग्रेस में वाराणसी नगर निगम को सुधार की जरुरत है। 2400 अंक वाले इस सर्वेक्षण में एक तिहाई अंक जल संरक्षण के हैं। इसमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सामुदायिक शौचालय के पानी का री-यूज तथा पार्कों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर क्या-क्या इंतजाम शामिल हैं। जल संरक्षण की दिशा में काफी प्रयास तो किए जा रहे हैं, मगर अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरुरत है।
नगर निगम ने कूड़ा उठान की व्यवस्था प्रभावी बनाने के लिए डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन लागू किया है। मगर कई क्षेत्रों में कंपनी के कर्मचारी और कई जगहों में जनसहयोग के अभाव में इसमें लापरवाही हो रही है। यही कारण है कि शहर की सड़कों और गलियों में कूड़े का अंबार लगा रहता है। अब तक हर घर से गीला व सूखा कचरा उठान नहीं हो पा रहा है।
सर्वाधिक नुकसान जलकल व जल निगम की उदासीनता से हुई। सीवेज प्रबंधन में शहर पीछे रह गया। वरुणापार इलाके में अब भी नालों में घरों के शौचालयों का सीवेज बहता है। अब तक सिर्फ 23 हजार 400 घरों के शौचालयों का कनेक्शन नई सीवर लाइन में हो सकता है जबकि कुल 50 हजार 332 घरों के शौचालयों का कनेक्शन करना था।
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बृजेश श्रीवास्तव ने कहा कि स्वच्छता रैकिंग में गिरावट के लिए हम लोग भी जिम्मेदार है। स्वच्छता में आमजन की भागीदारी भी होनी चाहिए। स्वच्छता सुधारने के लिए नगर निगम में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
हाजी ओकास अंसारी ने कहा कि रैकिंग सुधारने के लिए नगर निगम को स्वच्छता अभियान चलाना चाहिए। डोर टू डोर कुड़ा उठाने का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही सीवर व्यवस्था भी दुरुस्त हो। नरसिंह दास ने कहा कि त्योहार का सीजन होने से काम सही से नहीं हो पाया। रैकिंग गिरने का यह बड़ा कारण हो सकता है। शहर में स्वच्छता के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए आमजन को भी साथ आना होगा।
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स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के परिणाम में वाराणसी नगर निगम राष्ट्रीय स्तर पर तीन पायदान और प्रदेश स्तर पर एक पायदान नीचे खिसका है। इसके पीछे बड़ा कारण शहर की सफाई व्यवस्था का प्रमाणीकरण नहीं होना है। पिछले साल की तुलना में वाराणसी नगर निगम ने संसाधन के साथ ही सुविधा विस्तार तो किया, मगर दो साल से प्रयास के बाद भी अपनी व्यवस्था का सर्टिफिकेशन नहीं करा पाया। इसके अलावा शहर की बदहाल सीवर व्यवस्था और सड़कें भी इस रेस में पिछड़ने का बड़ा कारण हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था पिछले कुछ सालों में बड़े बदलाव की ओर से बढ़ी है, मगर छोटी-छोटी लापरवाहियों ने वाराणसी नगर निगम को आंकड़ों में पीछे ढकेल दिया। दरअसल, स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 छह हजार अंकों का हुआ है। इसमें सिटीजन वाइस व सर्टिफिकेशन के 3600 अंक हैं, इसी में वाराणसी नगर निगम अपनी बढ़त नहीं बना पाया और उसकी रैंकिंग बिगड़ी।
प्रमाणीकरण नहीं होने से रैंकिंग में पिछड़ा नगर निगम
सर्वेक्षण में प्रमुख प्रश्नों में लोगों से लिए फीडबैक 600, अनुभव 300, इंगेजमेंट 450, स्वच्छता एप 350, इनोवेशन के 100 अंक हैं। वहीं, सर्टिफिकेशन के 700 अंक हैं। वाराणसी नगर निगम की व्यवस्था के प्रमाणीकरण के लिए शासन स्तर से ही दो साल पहले जीओ स्टेट को जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर, प्रमाणीकरण तो दूर दो साल में कंपनी के कर्मचारी तक बनारस नहीं पहुंच पाए।
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