Hindi News
›
Uttar Pradesh
›
Varanasi News
›
Research in IIT BHU Nickel free steel equipment will very usefull in organ transplantation cost less and will also provide strength
{"_id":"60dd6ce38ebc3ef9f84263ed","slug":"research-in-iit-bhu-nickel-free-steel-equipment-will-very-usefull-in-organ-transplantation-cost-less-and-will-also-provide-strength","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"आईआईटी बीएचयू की बड़ी खोज: निकिल मुक्त स्टील उपकरण से अंग प्रत्यारोपण में खर्च होगा कम, मजबूती भी मिलेगी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
आईआईटी बीएचयू की बड़ी खोज: निकिल मुक्त स्टील उपकरण से अंग प्रत्यारोपण में खर्च होगा कम, मजबूती भी मिलेगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: उत्पल कांत
Updated Thu, 01 Jul 2021 12:59 PM IST
सार
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें
आईआईटी बीएचयू मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने निकिल मुक्त धातु बनाने में सफलता पाई है जो कि अंग प्रत्यारोपण में उपयोग होने वाले सर्जिकल ग्रेड स्टील से सुरक्षित मजबूत और वजन में भी हल्का है।
निकिल मुक्त स्टील उपकरण से अंग प्रत्यारोपण
- फोटो : अमर उजाला
अंग प्रत्यारोपण में अब निकिल मुक्त स्टील के धातु का प्रयोग किया जा सकेगा। यह अन्य धातुओं के मुकाबले जहां सस्ता है वहीं सुरक्षित और मजबूती भी है। आईआईटी बीएचयू मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने निकिल मुक्त धातु बनाने में सफलता पाई है जो कि अंग प्रत्यारोपण में उपयोग होने वाले सर्जिकल ग्रेड स्टील से सुरक्षित मजबूत और वजन में भी हल्का है।
मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गिरिजा शंकर महोबिया के मुताबिक वर्तमान समय में अंग प्रत्यारोपण में जो सर्जिकल ग्रेड स्टील की धातु का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें टाइटेनियम और कोबाल्ट प्रीमियम का प्रयोग होता है जिस वजह से यह ज्यादा महंगा होता है।
साथ ही इसमें निकिल की मात्रा अधिक होने की वजह से शरीर में एलर्जी के साथ ही कैंसर, सूजन, प्रत्यारोपण वाले जगह पर त्वचा संबंधी परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं। अब निकिल मुक्त सर्जिकल ग्रेड स्टील धातु के प्रयोग करने से लोगों को इन समस्याओं से निजात मिल सकती है।
पिछले साल अप्रैल में फाइल हुआ पेटेंट
डॉक्टर महोबिया के मुताबिक वर्ष 2016 में ही इस शोध को करने की हरी झंडी मिल गई थी। इस्पात मंत्रालय की ओर से 2 करोड़ 84 लाख रुपए का फंड भी मिला था। पिछले साल अप्रैल में ही इसका पेटेंट भी फाइल किया जा चुका है। इसका प्रयोग शरीर के अनुकूल होने के कारण स्टेंट, पेसमेकर,वॉल्व आदि बनाने में भी किया जा सकता है। उधर, आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद जैन ने बताया कि इस शोध को आम जनमानस के लिए उपयोगी बताया और कहा कि इसमें अलग-अलग इस्पात निर्माताओं और प्रत्यारोपण उपकरण बनाने वाले उद्योगों ने भी अपनी रुचि दिखाई है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।