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Siddharthnagar News: नहीं जाना होगा कोलकाता, जिले में होगा मछली बीज का उत्पादन

Gorakhpur Bureau गोरखपुर ब्यूरो
Updated Sun, 29 Jan 2023 11:11 PM IST
Will not have to go to Kolkata, fish seed will be produced in the district
नहीं जाना होगा कोलकाता, जिले में होगा मछली बीज का उत्पादन

- मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन के लिए किया जाएगा प्रोत्साहित
- ग्राम सभा के पट्टा वाले तालाबों पर अनुदान देने की शुरू हुई योजना
संवाद न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थनगर। पट्टे के तालाब में मछली पालन करने वाले और मछुआ समुदाय के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें मछली बीच लाने के लिए कोलकाता नहीं जाना होगा। वे अपने तालाब में खुद मछली बीज तैयार कर बेच सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार उनकी मदद करेगी। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार मछली पालन के लिए प्रोत्साहन देने की कवायद शुरू की है।
सूबे की सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चल रही हैं। मछुआ समुदाय मछली पालन करके तरक्की कर सके। इसके लिए सरकार ने उन्हें प्रोत्साहन राशि देकर उनके रोजगार को पंख लगाने की कवायद शुरू की है। सरकार ने मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की है। इसके जरिए तालाब और पोखरे के पट्टाधारक और मछुआ समुदाय को प्रोत्साहन राशि देने की कवायद शुरू की गई है, उससे वह अपने रोजगार को बढ़ा सकेंगे।

योजना में केवल सरकारी पट्टे वाले तालाब पर ही अनुदान राशि दी जाएगी। इसके लिए मछली पालन करने वाले पालकों को मत्स्य विभाग के पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसमें पट्टा का अभिलेख, पालन करने वाले का बैंक खाता नंबर, आधार की छाया प्रति आदि के साथ आवेदन होगा। आवेदन प्राप्त होने के बाद डीएम की अगुवाई में गठित टीम जांच करेगी। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को धनराशि दी जाएगी।
इस संबंध में जिला मत्स्य अधिकारी पुष्पा तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है। इसमें केवल ग्रामसमाज के पट्टा वाले तालाब और पोखरे में मछली पालन के लिए योजना का लाभ दिया जाना है। विभाग के पोर्टल पर इसका ऑनलाइन आवेदन होगा।
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40 फीसदी मिलेगा अनुदान
विभाग के अनुसार योजना का लाभ हेक्टेयर के हिसाब से दिया जाएगा। इसमें एक हेक्टेयर के तालाब और पोखरे में चार लाख रुपये निर्धारित है, जिसमें 40 प्रतिशत धन राशि अनुदान है। यह मछली पालन और उसके बच्चा पालन और उनके दावा, दाना साहित अन्य खर्च के लिए दिया जा रहा है, जिससे वह रोजगार को अच्छी तरह से कर सकें।
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जिले में 4599 हेक्टेयर में होता है मछली पालन
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में 4599 हेक्टेयर भूमि पर मछली का पालन किया जाता है। इसमें ग्राम सभा के पट्टा वाले तालाब और पोखरे को रकबा 2340 हेक्टेयर है। इसके अलावा 115 किलोमीटर नदी और नहर से भी मछली का कारोबार होता है। इसमें प्रति वर्ष 45679 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष मछली का उत्पादन होता है। जो 110-150 रुपये प्रति किलो की दर से बिकती हैं। जिनकी बिक्री जनपद के अलावा गोरखपुर, कानपुर सहित आसपास के जनपदों किया जाता है। वार्षिक ट्रनओवर 559.1 करोड़ रुपये है।
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साढ़े चार हजार को नियमित मिल रहा रोजगार
मछली के इस कारोबार में पालन से लेकर उसे निकालने, तौल करने और मंडी में लेकर जाकर बेचने के कार्य में 4500 लोगों को नियमित रोजगार मिला है। अगर रकबा बढ़ेगा और उत्पादन बढ़ेगा तो और लोगों को रोजगार मिलेगा।
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दो लाख है जनपद में मछुआ समुदाय की आबादी
मछुआ समुदाय की आबादी जिले में अच्छी खासी है। यहां बड़ी संख्या में इस जति के लोग निवास करते हैं। निषाद संगठन से जुड़े नेता प्रदीप निषाद के मुताबिक जिले में मछुआ समुदायक की आबादी मौजूदा समय में लगभग दो लाख है। इसमें 60 हजार परिवार आज भी मछली पालन के कारोबार से जुड़ा है, चाहे वह पालन करके बेच रहा है या फिर खरीदकर बेचकर परिवार चला रहा हो।
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