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सहारनपुर। सात साल की कड़वाहट भुलाकर एकजुट हुआ काजी परिवार लोकसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन नहीं बचा सका। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े इमरान मसूद दो लाख वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं। हालांकि राजनीति के जानकार सपा और बसपा का गठबंधन होने के बाद से ही इमरान के तीसरे नंबर पर रहने की बात कह रहे थे, मगर इमरान 2014 के चुनाव में मिले भारी मतों के आधार पर इस बार छह लाख से अधिक वोट मिलने का दावा कर रहे थे, मगर उनके सभी दावे फेल साबित हुए और गठबंधन प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान सबको पछाड़ते हुए संसद पहुंचने में कामयाब हुए।
सहारनपुर ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काजी परिवार का राजनीतिक कद काफी बड़ा रहा है। काजी रशीद मसूद पांच बार सहारनपुर सीट से ही सांसद निर्वाचित हुए और केंद्रीय मंत्री भी रहे। कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी में सदस्य रहने के साथ ही वह उप राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़े। काजी रसीद मसूद की उंगली पकड़कर इमरान मसूद ने राजनीति का ककहरा सीखा और सहारनपुर नगर पालिका अध्यक्ष बनने के साथ ही एक बार विधायक भी चुने गए।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव आने से पहले ही इमरान मसूद और काजी रशीद मसूद की राहें अलग हो गई थीं। जिस कारण 2014 में इमरान मसूद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, तो काजी रशीद मसूद के बेटे शाजान मसूद ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। शाजान मसूद को सिर्फ 52765 वोट मिल पाए थे, तो इमरान मसूद 407909 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
इसके बाद इमरान मसूद कांग्रेस से ही जुड़े रहे, जबकि शब्बीरपुर की घटना के दौरान काजी परिवार ने बसपा का झंडा थाम लिया। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बेटे शाजान मसूद को बसपा से टिकट दिलाने की जुगत में लग गए। मगर इसी बीच नगर निगम महापौर चुनाव में मात्र 1900 वोटों के अंतर से हारे हाजी फजलुर्रहमान ने लोकसभा चुनाव की ओर कदम बढ़ाने शुरू किए। जिस कारण फजलुर्रहमान ने बसपा का टिकट हासिल कर लिया, जबकि शाजान मसूद मायूस हो गए और फिर बसपा से किनारा करते हुए इमरान मसूद से हाथ मिला लिया।
काजी परिवार में एकजुटता होने से स्थानीय सियासत में बदलाव का संकेत मिल रहा था। इमरान मसूद को भी परिवार के साथ आने से आत्मबल मिला। इमरान ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। और वह इस बार के चुनाव में पांच लाख से ज्यादा वोट मिलने का दावा कर रहे थे। मगर नतीजा इमरान के साथ ही परिवार के लिए चौंकाने वाला रहा। परिवारिक एकता के बावजूद इमरान मसूद 2014 के चुनाव से आधे ही वोट हासिल कर पाए। राजनीति के जानकार इसे काजी परिवार के सामने सियासी संकट की स्थिति मान रहे हैं।
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- प्रियंका का रोड शो भी नहीं आया काम
इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गठबंधन की देवबंद में हुई रैली के बाद इमरान मसूद को गांधी पार्क में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की रैली करनी थी, मगर अचानक आए तूफान के कारण हेलीकॉप्टर को दिल्ली से उड़ने की इजाजत नहीं मिली थी। मगर अगले ही दिन इमरान मसूद ने प्रियंका गांधी को सहारनपुर बुलाकर चिलकाना रोड से कुतुबशेर तक रोड तक शो कराया था। रोड शो में लोगों की भीड़ को देखकर इमरान और प्रियंका उत्साहित थे। वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए ‘कोई नहीं है टक्कर में, क्यों पड़ते हो चक्कर में’ जैसे नारे लगाए गए थे, मगर यह पूरी कवायद भी काम नहीं आ सकी। --------
सहारनपुर। सात साल की कड़वाहट भुलाकर एकजुट हुआ काजी परिवार लोकसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन नहीं बचा सका। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े इमरान मसूद दो लाख वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं। हालांकि राजनीति के जानकार सपा और बसपा का गठबंधन होने के बाद से ही इमरान के तीसरे नंबर पर रहने की बात कह रहे थे, मगर इमरान 2014 के चुनाव में मिले भारी मतों के आधार पर इस बार छह लाख से अधिक वोट मिलने का दावा कर रहे थे, मगर उनके सभी दावे फेल साबित हुए और गठबंधन प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान सबको पछाड़ते हुए संसद पहुंचने में कामयाब हुए।
सहारनपुर ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काजी परिवार का राजनीतिक कद काफी बड़ा रहा है। काजी रशीद मसूद पांच बार सहारनपुर सीट से ही सांसद निर्वाचित हुए और केंद्रीय मंत्री भी रहे। कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी में सदस्य रहने के साथ ही वह उप राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़े। काजी रसीद मसूद की उंगली पकड़कर इमरान मसूद ने राजनीति का ककहरा सीखा और सहारनपुर नगर पालिका अध्यक्ष बनने के साथ ही एक बार विधायक भी चुने गए।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव आने से पहले ही इमरान मसूद और काजी रशीद मसूद की राहें अलग हो गई थीं। जिस कारण 2014 में इमरान मसूद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, तो काजी रशीद मसूद के बेटे शाजान मसूद ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। शाजान मसूद को सिर्फ 52765 वोट मिल पाए थे, तो इमरान मसूद 407909 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
इसके बाद इमरान मसूद कांग्रेस से ही जुड़े रहे, जबकि शब्बीरपुर की घटना के दौरान काजी परिवार ने बसपा का झंडा थाम लिया। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बेटे शाजान मसूद को बसपा से टिकट दिलाने की जुगत में लग गए। मगर इसी बीच नगर निगम महापौर चुनाव में मात्र 1900 वोटों के अंतर से हारे हाजी फजलुर्रहमान ने लोकसभा चुनाव की ओर कदम बढ़ाने शुरू किए। जिस कारण फजलुर्रहमान ने बसपा का टिकट हासिल कर लिया, जबकि शाजान मसूद मायूस हो गए और फिर बसपा से किनारा करते हुए इमरान मसूद से हाथ मिला लिया।
काजी परिवार में एकजुटता होने से स्थानीय सियासत में बदलाव का संकेत मिल रहा था। इमरान मसूद को भी परिवार के साथ आने से आत्मबल मिला। इमरान ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। और वह इस बार के चुनाव में पांच लाख से ज्यादा वोट मिलने का दावा कर रहे थे। मगर नतीजा इमरान के साथ ही परिवार के लिए चौंकाने वाला रहा। परिवारिक एकता के बावजूद इमरान मसूद 2014 के चुनाव से आधे ही वोट हासिल कर पाए। राजनीति के जानकार इसे काजी परिवार के सामने सियासी संकट की स्थिति मान रहे हैं।
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- प्रियंका का रोड शो भी नहीं आया काम
इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गठबंधन की देवबंद में हुई रैली के बाद इमरान मसूद को गांधी पार्क में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की रैली करनी थी, मगर अचानक आए तूफान के कारण हेलीकॉप्टर को दिल्ली से उड़ने की इजाजत नहीं मिली थी। मगर अगले ही दिन इमरान मसूद ने प्रियंका गांधी को सहारनपुर बुलाकर चिलकाना रोड से कुतुबशेर तक रोड तक शो कराया था। रोड शो में लोगों की भीड़ को देखकर इमरान और प्रियंका उत्साहित थे। वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए ‘कोई नहीं है टक्कर में, क्यों पड़ते हो चक्कर में’ जैसे नारे लगाए गए थे, मगर यह पूरी कवायद भी काम नहीं आ सकी। --------