रायबरेली। चंद्रयान-2 की लांचिंग के दौरान पूरी दुनिया ने जिस आवाज को सुना था, वह गुरुवार को रायबरेली के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज में गूंज रही थी। इसी कॉलेज से बतौर लेक्चरर अपने कॅरिअर की शुरुआत करने वाले इसरो के वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव 48 साल बाद उसी संस्थान में पहुंचे तो हर कोई उन्हें देखने और मिलने को बेताब नजर आया। चंद्रयान-2 समेत सेटेलाइट लांच पर विशेष लेक्चर देने आए विनोद ने विज्ञान के विद्यार्थियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
‘अमर उजाला’ से बातचीत में इसरो के वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-2 की सफलता या असफलता के बारे में कुछ कहना उचित नहीं होगा लेकिन, विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर पहुंचने से महज कुछ दूर पहले से संपर्क टूट जाने से भी हमें कुछ न कुछ सीखने को ही मिला है। भविष्य में ऐसे किसी भी मिशन में इस पहलू को भी ध्यान में रखा जाएगा, ताकि ऐसी कोई समस्या आने से पहले उसका हल पहले से तलाश कर रखा जा सके। चंद्रयान-2 की लांचिंग में कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई। सब कुछ प्लान के अनुरूप था।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 को लेकर अभी उम्मीद टूटी नहीं है, हम मिशन की सफलता को लेकर पूरी तरह आशान्वित हैं। चंद्रयान-2 ने दुनिया में इतिहास रच दिया है। लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने का मतलब यह नहीं कि चंद्रयान-2 मिशन ही फेल हो गया है। लैंडर विक्रम इस मिशन का एक हिस्सा था। इसरो से लगातार 37 वर्षों से जुड़े रहने वाले विनोद कुमार श्रीवास्तव इस समय स्पेस मिशन की लांचिंग रिव्यू टीम के सदस्य हैं। उन्होंने 1982 में इसरो जॉइन किया था।
2011 में संरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पद से सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें चार साल के लिए ब्रह्म प्रकाश वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में इसरो से ही जोड़े रखा गया। बाद में लांचिंग रिव्यू टीम में शामिल कर लिया गया। चंद्रयान-2 मिशन का अहम हिस्सा रहने वाले विनोद कुमार श्रीवास्तव कानपुर जिले के आर्य नगर निवासी हैं। उनका रिश्ता रायबरेली से भी बहुत गहरा है। यहां के फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज से कॅरिअर की शुरुआत करने वाले विनोद कुछ समय बाद ही एक्सप्लोसिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब पुणे में नौकरी करने चले गये थे।
वहां से इसरो हैदराबाद स्थित डीआरडीएल पहुंच गए। 22 जुलाई को जब चंद्रयान-2 मिशन लांच किया गया था, तब विनोद ने दूरदर्शन पर लाइव कमेंट्री की थी, जिसे पूरी दुनिया ने सुना था। इससे पहले भी वह लगातार छह बार ऐसे बड़े मिशन का आंखों देखा हाल सुना चुके हैं। अपनी पत्नी अर्चना श्रीवास्तव के साथ यहां पहुंचे विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय वह श्रीहरिकोटा के पास ही रह रहे हैं।
रायबरेली। चंद्रयान-2 की लांचिंग के दौरान पूरी दुनिया ने जिस आवाज को सुना था, वह गुरुवार को रायबरेली के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज में गूंज रही थी। इसी कॉलेज से बतौर लेक्चरर अपने कॅरिअर की शुरुआत करने वाले इसरो के वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव 48 साल बाद उसी संस्थान में पहुंचे तो हर कोई उन्हें देखने और मिलने को बेताब नजर आया। चंद्रयान-2 समेत सेटेलाइट लांच पर विशेष लेक्चर देने आए विनोद ने विज्ञान के विद्यार्थियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
‘अमर उजाला’ से बातचीत में इसरो के वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-2 की सफलता या असफलता के बारे में कुछ कहना उचित नहीं होगा लेकिन, विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर पहुंचने से महज कुछ दूर पहले से संपर्क टूट जाने से भी हमें कुछ न कुछ सीखने को ही मिला है। भविष्य में ऐसे किसी भी मिशन में इस पहलू को भी ध्यान में रखा जाएगा, ताकि ऐसी कोई समस्या आने से पहले उसका हल पहले से तलाश कर रखा जा सके। चंद्रयान-2 की लांचिंग में कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई। सब कुछ प्लान के अनुरूप था।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 को लेकर अभी उम्मीद टूटी नहीं है, हम मिशन की सफलता को लेकर पूरी तरह आशान्वित हैं। चंद्रयान-2 ने दुनिया में इतिहास रच दिया है। लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने का मतलब यह नहीं कि चंद्रयान-2 मिशन ही फेल हो गया है। लैंडर विक्रम इस मिशन का एक हिस्सा था। इसरो से लगातार 37 वर्षों से जुड़े रहने वाले विनोद कुमार श्रीवास्तव इस समय स्पेस मिशन की लांचिंग रिव्यू टीम के सदस्य हैं। उन्होंने 1982 में इसरो जॉइन किया था।
2011 में संरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पद से सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें चार साल के लिए ब्रह्म प्रकाश वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में इसरो से ही जोड़े रखा गया। बाद में लांचिंग रिव्यू टीम में शामिल कर लिया गया। चंद्रयान-2 मिशन का अहम हिस्सा रहने वाले विनोद कुमार श्रीवास्तव कानपुर जिले के आर्य नगर निवासी हैं। उनका रिश्ता रायबरेली से भी बहुत गहरा है। यहां के फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज से कॅरिअर की शुरुआत करने वाले विनोद कुछ समय बाद ही एक्सप्लोसिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब पुणे में नौकरी करने चले गये थे।
वहां से इसरो हैदराबाद स्थित डीआरडीएल पहुंच गए। 22 जुलाई को जब चंद्रयान-2 मिशन लांच किया गया था, तब विनोद ने दूरदर्शन पर लाइव कमेंट्री की थी, जिसे पूरी दुनिया ने सुना था। इससे पहले भी वह लगातार छह बार ऐसे बड़े मिशन का आंखों देखा हाल सुना चुके हैं। अपनी पत्नी अर्चना श्रीवास्तव के साथ यहां पहुंचे विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय वह श्रीहरिकोटा के पास ही रह रहे हैं।