खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर मिलावट हो रही है। इससे असली-नकली की पहचान मुश्किल हो गई है। मगर अब दूध के मिलावटखोरों की खैर नहीं। जल्द ही दूध में मिलावट की जांच शुरू की जाएगी, जिसकी निगरानी जिलाधिकारी कंचन वर्मा खुद करेंगी।
जिले के 809 गांवों से दूूध इकट्ठा करके शहर में बेचा जाता है। दूध में पानी मिलाने की शिकायतें अक्सर मिलती हैं। मगर पानी ही नहीं सिंथेटिक दूध की भी बड़े पैमाने पर आपूर्ति की जा रही है, जो सेहत के लिए घातक है।
दूध में मिलावट पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद जिला प्रशासन भी सख्ती बरतने जा रहा है। यूं तो मिलावटी सामग्री की जांच का जिम्मा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन का है। मगर दूध की मिलावट रोकने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम जिला खाद्य एवं औषधि सतर्कता समिति के स्थान पर जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी कमान स्वयं जिलाधिकारी के हाथों में होगी। समिति में पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्साधिकारी, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका, जिला विकास अधिकारी, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी, स्टेट मार्केटिंग बोर्ड प्रतिनिधि, अभिहित अधिकारी, उप दुग्ध विकास अधिकारी, डीआईओएस, डीएसओ, वाणिज्यकर अधिकारी, मत्स्य विभाग, जिला मंडी परिषद, बाट माप अधिकारी, औषधि विक्रेता संघ प्रतिनिधि, रेेडक्रास प्रतिनिधि, डीएम द्वारा मनोनीत व्यापार मंडल प्रतिनिधि, स्वैच्छिक संगठन के प्रतिनिधि नागरिक सुरक्षा के वार्डेन और औषधि निरीक्षक सदस्य होंगे।