शीतलहर का मौसम चल रहा है लेकिन जिले के अधिकांश परिषदीय विद्यालयों में बच्चे बिना स्वेटर के ही स्कूल पहुंच रहे हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 80 प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि पहुंच गई है। इसके बावजूद अभिभावक स्वेटर और स्कूली सामग्री की खरीद नहीं कर रहे।
आला अधिकारी शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों के माध्यम से छात्रों के माध्यम से अभिभावकों को यूनिफार्म, स्वेटर आदि खरीदने के लिए प्रेरित करने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ ले रहे हैं। शेष 20 प्रतिशत अभिभावकों के बैंक के खातों में तकनीकी कमी तथा आधार कार्ड न बनने सहित विभिन्न कारण से अटक गई है।
जिले के 1208 परिषदीय विद्यालयों में 1.70 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। यूनिफार्म खरीदारी में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने गत वर्ष से यूनिफार्म की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजने की व्यवस्था की है। विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को दो सेट नि:शुल्क ड्रेस, स्वेटर, जूता, मोजा, बैग आदि के लिए 1200 रुपया बच्चों के अभिभावकों के खाते में भेजा जाना है।
अभी तक मात्र 1.40 लाख बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजी जा सकी है। सर्दी का मौसम चल रहा है, लेकिन खाते में धन पहुंचने के बाद भी अधिकांश अभिभावक बच्चों के लिए ड्रेस खरीदने में रुचि नहीं ले रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार शिक्षकों, छात्रों के माध्यम से अभिभावकों को जागरूक करने की बात कही जा रही है।
बीएसए डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि, 1.40 लाख बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि भेज दी गई है। शिक्षकों, छात्रों, खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से अभिभावकों को ड्रेस, स्वेटर आदि खरीदने के लिए जागरूक किया जा रहा है। कैंप के माध्यम से बच्चों का आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही सभी बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि भेज दी जाएगी।