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कौशाम्बी थाने में महिलाओं के साथ हुए अपराध की दर्जनभर विवेचनाएं लंबित हैं। महिलाओं की धर पकड़ से लेकर बयान लेने तक का काम प्रभावित है। इसके पीछे थाने में एक भी महिला सिपाही की तैनाती का न होना प्रमुख कारण है। मामलों के निस्तारण के लिए उच्चाधिकारियों से कई बार महिला सिपाही की मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विवेचनाओं का समय पर निस्तारण न होने से पीड़ित पक्ष परेशान होकर आए दिन थानों का चक्कर काट रहे हैं।
कौशाम्बी थाने में महिला सिपाही का एक भी स्टाफ तैनात नहीं है। महिला सिपाही न होने की वजह से महिलाओं से जुड़े मामलों का समय पर निस्तारण करने में कौशाम्बी पुलिस बौनी नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो थाने में अब तक एक दर्जन महिलाओं पर हुए अत्याचार के मामले महिला सिपाही की तैनाती न होने की वजह से लंबित चल रहे हैं। आंकड़ों पर जाएं तो दहेज हत्या के चार, दहेज उत्पीड़न के तीन, बलात्कार के चार और बहला-फुसलाकर भगा ले जाने के तीन मामलों की विवेचना महिला सिपाही के अभाव में नहीं हो पा रहा है। मुकदमा दर्ज होने के बाद महिलाओं के बयान आदि कार्य लंबित चल रहे हैं।
इसकी वजह से मामलों में समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं हो पा रहा है। उधर लंबित मामलों को लेकर थाने के जिम्मेदार को उच्चाधिकारियों की फटकार का भी सामना करना पड़ता है। उधर शासन और प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा महिलाओं के मामले में संजीदगी दिखाने का फरमान समय-समय पर जारी किया जाता है।
थाने में लगभग दर्जन भर महिलाओं से जुड़े मामले लंबित हैं। इनके निस्तारण के लिए महिला सिपाही की मांग उच्चाधिकारियों से की गई है। जैसे ही महिला सिपाही उपलब्ध होती है संबंधित महिलाओं का बयान कराकर विवेचनाओं का निस्तारण करा दिया जाएगा।
सुनील दुबे, थानाध्यक्ष कौशाम्बी
कौशाम्बी थाने में महिलाओं के साथ हुए अपराध की दर्जनभर विवेचनाएं लंबित हैं। महिलाओं की धर पकड़ से लेकर बयान लेने तक का काम प्रभावित है। इसके पीछे थाने में एक भी महिला सिपाही की तैनाती का न होना प्रमुख कारण है। मामलों के निस्तारण के लिए उच्चाधिकारियों से कई बार महिला सिपाही की मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विवेचनाओं का समय पर निस्तारण न होने से पीड़ित पक्ष परेशान होकर आए दिन थानों का चक्कर काट रहे हैं।
कौशाम्बी थाने में महिला सिपाही का एक भी स्टाफ तैनात नहीं है। महिला सिपाही न होने की वजह से महिलाओं से जुड़े मामलों का समय पर निस्तारण करने में कौशाम्बी पुलिस बौनी नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो थाने में अब तक एक दर्जन महिलाओं पर हुए अत्याचार के मामले महिला सिपाही की तैनाती न होने की वजह से लंबित चल रहे हैं। आंकड़ों पर जाएं तो दहेज हत्या के चार, दहेज उत्पीड़न के तीन, बलात्कार के चार और बहला-फुसलाकर भगा ले जाने के तीन मामलों की विवेचना महिला सिपाही के अभाव में नहीं हो पा रहा है। मुकदमा दर्ज होने के बाद महिलाओं के बयान आदि कार्य लंबित चल रहे हैं।
इसकी वजह से मामलों में समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं हो पा रहा है। उधर लंबित मामलों को लेकर थाने के जिम्मेदार को उच्चाधिकारियों की फटकार का भी सामना करना पड़ता है। उधर शासन और प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा महिलाओं के मामले में संजीदगी दिखाने का फरमान समय-समय पर जारी किया जाता है।
थाने में लगभग दर्जन भर महिलाओं से जुड़े मामले लंबित हैं। इनके निस्तारण के लिए महिला सिपाही की मांग उच्चाधिकारियों से की गई है। जैसे ही महिला सिपाही उपलब्ध होती है संबंधित महिलाओं का बयान कराकर विवेचनाओं का निस्तारण करा दिया जाएगा।
सुनील दुबे, थानाध्यक्ष कौशाम्बी