कानपुर-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस के मुसाफिर मौत के मुंह में आते-आते बचे। दरअसल, कानपुर-इटावा के बीच साम्हो रेलवे स्टेशन के पास किसी जानवार के टकराने से ट्रेन के इंजन में तेज धमाका हुआ, जिसके बाद इंजन अचानक बंद पड़ गया। ट्रेन को भर्थना रेलवे स्टेशन पर रोक कर इंजन बदलने का काम किया जा रहा हैं।
बृहस्पतिवार को साम्हो रेलवे स्टेशन के पास शताब्दी एक्सप्रेस के इंजन से किसी बड़े जानवर के टकराने से इंजन खराब हो गया। इंजन अचानक खराब पड़ने से ट्रैक पर तेज चिंगारी उठी। गनीमत रही कि पावर कार में आग नहीं लगी। गार्ड व चालक की सजगता से तुरंत ट्रेन रोक ली गई। पावर कार में जेनरेटर सहित ट्रेन में पावर सप्लाई के अन्य उपकरण होते हैं। दुर्घटना की वजह से शताब्दी एक्सप्रेस को भर्थना रेलवे स्टेशन ले जाया गया और जिसके बाद इंजन बदलने का कार्य किया गया। इससे नई दिल्ली ओर कानपुर आने-जाने वाली कई ट्रेनें विलंब से चलीं।
घटना के वक्त अचानक ट्रेन में जोर का धक्का लगने से यात्रियों में भी अफरा-तफरी मच गई लेकिन उन्हें शांत किया गया। क्षतिग्रस्त इंजन को ट्रेन से हटा दिया गया। शताब्दी में दो पावर कार होती हैं। इससे एक पावर कार के साथ ट्रेन को करीब दो घंटे बाद कानपुर के लिए रवाना कर दिया गया। दूसरी ओर इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने ट्रैक की पूरी तरह से जांच की। इस वजह से करीब दो घंटे तक किसी ट्रेन को इस ट्रैक से नहीं जाने दिया गया। इस कारण राजधानी सहित कई ट्रेनें देर से खुलीं।
कानपुर-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस के मुसाफिर मौत के मुंह में आते-आते बचे। दरअसल, कानपुर-इटावा के बीच साम्हो रेलवे स्टेशन के पास किसी जानवार के टकराने से ट्रेन के इंजन में तेज धमाका हुआ, जिसके बाद इंजन अचानक बंद पड़ गया। ट्रेन को भर्थना रेलवे स्टेशन पर रोक कर इंजन बदलने का काम किया जा रहा हैं।
बृहस्पतिवार को साम्हो रेलवे स्टेशन के पास शताब्दी एक्सप्रेस के इंजन से किसी बड़े जानवर के टकराने से इंजन खराब हो गया। इंजन अचानक खराब पड़ने से ट्रैक पर तेज चिंगारी उठी। गनीमत रही कि पावर कार में आग नहीं लगी। गार्ड व चालक की सजगता से तुरंत ट्रेन रोक ली गई। पावर कार में जेनरेटर सहित ट्रेन में पावर सप्लाई के अन्य उपकरण होते हैं। दुर्घटना की वजह से शताब्दी एक्सप्रेस को भर्थना रेलवे स्टेशन ले
जाया गया और जिसके बाद इंजन बदलने का कार्य किया गया। इससे नई दिल्ली ओर कानपुर आने-जाने वाली कई ट्रेनें विलंब से चलीं।
घटना के वक्त अचानक ट्रेन में जोर का धक्का लगने से यात्रियों में भी अफरा-तफरी मच गई लेकिन उन्हें शांत किया गया।
क्षतिग्रस्त इंजन को ट्रेन से हटा दिया गया। शताब्दी में दो पावर कार होती हैं। इससे एक पावर कार के साथ ट्रेन को करीब दो घंटे बाद कानपुर के लिए रवाना कर दिया गया। दूसरी ओर इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने ट्रैक की पूरी तरह से जांच की। इस वजह से करीब दो घंटे तक किसी ट्रेन को इस ट्रैक से नहीं जाने दिया गया। इस कारण राजधानी सहित कई ट्रेनें देर से खुलीं।