झांसी। सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण को लेकर नीतियां बनाई जा रही हैं। गोशालाएं खोली जा रही हैं। लेकिन फिर भी बुंदेलखंड में गोवंश की संख्या बड़ी तेजी के साथ घट रही है। 2012 में पशुपालन विभाग द्वारा कराई गई पशु गणना के आंकड़ों को देखेंगे तो पता चलेगा कि 10 लाख 60 हजार 501 गोवंश झांसी मंडल में था। जबकि 2019 की पशु गणना में गोवंश की संख्या घटकर 7 लाख 95 हजार 501 रह गई है। हालांकि अब अगली पशु गणना 2024 में होगी लेकिन अगर 2019 के बाद के इन तीन सालों को भी देखा जाए तो हजारों गोवंश गायब हैं। जिन गोशालाओं में सैकड़ों गोवंश था वह संख्या गिनी चुनी रह गई है।
अगर हम 2012 की बात करें पशु गणना की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को सौंपी गई थी। जिसमें उन्होंने झांसी, ललितपुर और जालौन जिले के गोवंशों की गणना करते हुए 10,60,501 गोवंशों को घर-घर जाकर ढूंढा था। इसके बाद 2019 में योगी सरकार द्वारा पशुओं की गणना पशुपालन विभाग से कराई गई, जिसमें आठ लाख से कम गोवंश ही बचे हैं। ऐसे में 2012 से 2019 के बीच 2,65,000 गोवंश कम हो गए हैं।
कहते हैं आंकड़े
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जनपद गोवंश (2012) जनपद गोवंश (2019)
झांसी 3,52,513 झांसी 2,26,789
ललितपुर 4,83,033 ललितपुर 3,64,514
जालौन 2,24,955 जालौन 2,04,198
कुल 10,60,501 7,95,501
नोट- आंकड़े सरकार द्वारा कराई गई पशुगणना के अनुसार
गाय की औसत उम्र होती है 15 से 20 साल
गाय की औसत उम्र 15 से 20 साल तक होती है। हालांकि तमाम रोग भी लगते हैं। इनमें खुरपका, मुंहपका, गलाघोंटू, ब्रूसल्लोसिस, लगड़िया बुखार आदि हैं। हालांकि गोवंश को रोग मुक्त रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम पशुपालन विभाग द्वारा किए जाते रहे हैं। जिससे ज्यादा से ज्यादा गोवंशों का संरक्षण किया जा सके। इसके साथ ही कृत्रिम गर्भाधान समेत वंश बढ़ाने के लिए सरकार लगातार योजनाएं चला रही है। बावजूद इसके आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं।
2012 की पशुगणना राजस्व विभाग की तरफ से की गई थी। वहीं, 2019 की पशुगणना पशुपालन विभाग द्वारा की गई है। अब पशुओं की संख्या ऑनलाइन है। शासन स्तर तक इसकी जानकारी है। - डॉ. विवेक भारद्वाज, सीवीओ
भूख, प्यास और बीमारियों से भी मर रहा गोवंश
झांसी। अगर मंडल की बात की जाए तो 700 गोशालाएं हैं। इनमें सवा लाख गोवंश है। यूं तो प्रशासन का दावा है कि हर गोशाला में चारा और पानी का इंतजाम किया गया है लेकिन अगर हकीकत देखेंगे तो तमाम गोशालाओं में चारा तक नहीं है। सरकार की तरफ से एक गोवंश को चारे के लिए 30 रुपये दिए जाते हैं। जबकि भूसा का भाव ही 800 रुपये क्विंटल है। ऐसे में चारा कहां से आता होता यह सोचा जा सकता है।
मंडल में 700 गोशालाओं में संरक्षित हो रहे सवा लाख से ज्यादा निराश्रित गोवंश
मंडल के झांसी, ललितपुर और जालौन में सवा लाख से ज्यादा निराश्रित पशुओं का संरक्षण किया जा रहा है। जिनके भरण-पोषण का इंतजाम पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता है। इसके लिए विभाग प्रति पशु 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देता है। हर साल इसके लिए भरण-पोषण के लिए पैसा दिया जाता है। यह योजना 2019 से शुरू की गई थी। मंडल में तीन साल में पशुओं के भरण-पोषण के लिए एक अरब से ज्यादा खर्च हो चुका है। अकेले झांसी में ही तीन साल में 40 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। जालौन में 408, ललितपुर में 38 और झांसी में 276 गोशालाएं संचालित हो रही हैं। सवा लाख निराश्रित पशुओं के लिए इस साल के बजट के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है।
झांसी। सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण को लेकर नीतियां बनाई जा रही हैं। गोशालाएं खोली जा रही हैं। लेकिन फिर भी बुंदेलखंड में गोवंश की संख्या बड़ी तेजी के साथ घट रही है। 2012 में पशुपालन विभाग द्वारा कराई गई पशु गणना के आंकड़ों को देखेंगे तो पता चलेगा कि 10 लाख 60 हजार 501 गोवंश झांसी मंडल में था। जबकि 2019 की पशु गणना में गोवंश की संख्या घटकर 7 लाख 95 हजार 501 रह गई है। हालांकि अब अगली पशु गणना 2024 में होगी लेकिन अगर 2019 के बाद के इन तीन सालों को भी देखा जाए तो हजारों गोवंश गायब हैं। जिन गोशालाओं में सैकड़ों गोवंश था वह संख्या गिनी चुनी रह गई है।
अगर हम 2012 की बात करें पशु गणना की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को सौंपी गई थी। जिसमें उन्होंने झांसी, ललितपुर और जालौन जिले के गोवंशों की गणना करते हुए 10,60,501 गोवंशों को घर-घर जाकर ढूंढा था। इसके बाद 2019 में योगी सरकार द्वारा पशुओं की गणना पशुपालन विभाग से कराई गई, जिसमें आठ लाख से कम गोवंश ही बचे हैं। ऐसे में 2012 से 2019 के बीच 2,65,000 गोवंश कम हो गए हैं।
कहते हैं आंकड़े
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जनपद गोवंश (2012) जनपद गोवंश (2019)
झांसी 3,52,513 झांसी 2,26,789
ललितपुर 4,83,033 ललितपुर 3,64,514
जालौन 2,24,955 जालौन 2,04,198
कुल 10,60,501 7,95,501
नोट- आंकड़े सरकार द्वारा कराई गई पशुगणना के अनुसार
गाय की औसत उम्र होती है 15 से 20 साल
गाय की औसत उम्र 15 से 20 साल तक होती है। हालांकि तमाम रोग भी लगते हैं। इनमें खुरपका, मुंहपका, गलाघोंटू, ब्रूसल्लोसिस, लगड़िया बुखार आदि हैं। हालांकि गोवंश को रोग मुक्त रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम पशुपालन विभाग द्वारा किए जाते रहे हैं। जिससे ज्यादा से ज्यादा गोवंशों का संरक्षण किया जा सके। इसके साथ ही कृत्रिम गर्भाधान समेत वंश बढ़ाने के लिए सरकार लगातार योजनाएं चला रही है। बावजूद इसके आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं।
2012 की पशुगणना राजस्व विभाग की तरफ से की गई थी। वहीं, 2019 की पशुगणना पशुपालन विभाग द्वारा की गई है। अब पशुओं की संख्या ऑनलाइन है। शासन स्तर तक इसकी जानकारी है। - डॉ. विवेक भारद्वाज, सीवीओ
भूख, प्यास और बीमारियों से भी मर रहा गोवंश
झांसी। अगर मंडल की बात की जाए तो 700 गोशालाएं हैं। इनमें सवा लाख गोवंश है। यूं तो प्रशासन का दावा है कि हर गोशाला में चारा और पानी का इंतजाम किया गया है लेकिन अगर हकीकत देखेंगे तो तमाम गोशालाओं में चारा तक नहीं है। सरकार की तरफ से एक गोवंश को चारे के लिए 30 रुपये दिए जाते हैं। जबकि भूसा का भाव ही 800 रुपये क्विंटल है। ऐसे में चारा कहां से आता होता यह सोचा जा सकता है।
मंडल में 700 गोशालाओं में संरक्षित हो रहे सवा लाख से ज्यादा निराश्रित गोवंश
मंडल के झांसी, ललितपुर और जालौन में सवा लाख से ज्यादा निराश्रित पशुओं का संरक्षण किया जा रहा है। जिनके भरण-पोषण का इंतजाम पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता है। इसके लिए विभाग प्रति पशु 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देता है। हर साल इसके लिए भरण-पोषण के लिए पैसा दिया जाता है। यह योजना 2019 से शुरू की गई थी। मंडल में तीन साल में पशुओं के भरण-पोषण के लिए एक अरब से ज्यादा खर्च हो चुका है। अकेले झांसी में ही तीन साल में 40 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। जालौन में 408, ललितपुर में 38 और झांसी में 276 गोशालाएं संचालित हो रही हैं। सवा लाख निराश्रित पशुओं के लिए इस साल के बजट के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है।