झांसी। केन-बेतवा लिंक परियोजना को गति मिले, इसके लिए बजट में सरकार को ध्यान देना चाहिए। साथ ही कृषि संस्थानों के शोध एवं प्रसार के लिए अलग से बजट मिलना चाहिए। ऐसा होने से बुंदेलखंड के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। बुंदेलखंड में जलवायु के हिसाब से फसलों के बीज तैयार किए जा सकेंगे। कृषि विशेषज्ञ बता रहे हैं कि बजट में कृषि के लिए बड़ा प्रयोजन होना चाहिए।
झांसी समेत बुंदेलखंड में गेहूं, चना, मटर, मसूर, जौ, सरसों, अलसी, तिल, मूंगफली, सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्का समेत डेढ़ दर्जन फसलें अलग-अलग सीजन में बोई जाती हैं। इनमें एक भी फसल का बीज बुंदेलखंड में शोध कार्य करके तैयार नहीं हुआ है। देश के अलग-अलग राज्यों की उन्नत प्रजातियों का बुंदेलखंड में परीक्षण सही पाया जाता है तो यहां के किसानों को बुवाई के लिए बीज उपलब्ध करा दिए जाते हैं। मगर वो पूरी तरह बुंदेलखंड की परिस्थिति पर आधारित नहीं होते हैं, क्योंकि इन्हें यहां पर शोध करके तैयार नहीं किया जाता है।
मौजूदा समय में अधिकांश बीज एक से डेढ़ दशक पुराने हैं। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कृषि डॉ. एसके चतुर्वेदी का मानना है कि इन संस्थानों को कृषि शोध एवं प्रसार के लिए अलग से बजट मिलना चाहिए। ताकि, बुंदेलखंड में ही व्यापक स्तर पर शोध कार्य हों और उन्नत प्रजाति तैयार की जा सकें। इससे उत्पादन भी बढ़ेगा। वहीं, केन-बेतवा लिंक परियोजना शुरू होने से सिंचाई के लिए पानी की समस्या दूर हो जाएगी। इस पर भी बजट आवंटन होना चाहिए।
बजट में बुंदेलखंड की दरकार
- बुंदेलखंड में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगनी चाहिए। इसके लिए निवेश की जरूरत है।
- बुंदेलखंड में अन्ना जानवर और नील गाय की समस्या का भी निदान होना चाहिए।
- मोटे अनाज के लिए भी क्रय केंद्र खोले जाने चाहिए। ताकि, किसानों की उपज की बिक्री हो सके।
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को वित्तीय सहायता भी बुंदेलखंड में मिलनी चाहिए। फिर कम पानी में किसान सिंचाई कर सकेंगे। इससे उत्पादन बढ़ेगा।
- बुंदेलखंड में बहते पानी को रोकने के लिए चेकडैम बनाने को अलग से बजट होना चाहिए। छोटे-छोटे चेकडैम बनाने से सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा। इससे भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा।
बुंदेलखंड के किसानों के लिए अलग से हो बजट का प्रावधान
बुंदेलखंड का किसान कभी सूखा तो कभी ओलावृष्टि से होने वाला नुकसान झेलता है। क्षतिपूर्ति मिल नहीं पाती है। इसके लिए बुंदेलखंड को अलग से बजट मिलना चाहिए। - मुन्ना, बरुआसागर।
मोटे अनाज की खेती करने की बात की जा रही है मगर इसके लिए क्रय केंद्र तो हैं ही नहीं। इसके अलावा मोटे अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी जारी होना चाहिए। - सगुन सिंह, सिजवाहा।
योजनाएं बनती हैं, बजट में घोषणाएं होती हैं मगर धरातल पर कुछ नहीं होता। सरकार को चाहिए जो घोषणाएं बजट में हो, उसका लाभ किसानों को जरूर मिल सके। - लखपत राम, पाली पहाड़ी।
गेहूं, मूंगफली समेत विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ना चाहिए। सरकार को बजट में इसकी घोषणा करनी चाहिए। इससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। - बैद्यनाथ, इमलिया।