इटावा। बीएड करने के बाद नौकरी मिलने की उम्मीद छूटी तो बसरेहर क्षेत्र के ग्राम लालपुरा के किसान प्रबल प्रताप सिंह यादव ने स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर रुख किया। वर्तमान में 87 बीघा खेत में ढाई लाख पौधे हैं। तरक्की की राह अपनाकर प्रबल अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा के हिसार में स्ट्रॉबेरी की खेती देखी तो इसे अपना लिया। पिता सुरेंद्र यादव को बताने के बाद खेत तैयार करवाया। खेत में अच्छी तरीके से जुताई करवाई ताकि मिट्टी एकदम मुलायम हो जाए। इसके बाद खेत में मल्चिंग बेड तैयार करवाए। ड्रिपिंग सिस्टम लगवाए और इस पर 25 एमएम की पन्नी लगवाई ताकि मल्चिंग बेड में किसी प्रकार की खरपतवार न उगे।
मल्चिंग बैड तैयार होने के बाद चंडीगढ़ से स्ट्रॉबेरी के करीब ढाई लाख पौधे मंगवाकर सितंबर-अक्तूबर में खेतों में लगवाए। बताया कि 87 बीघा खेत पिता सुरेंद्र यादव, चाचा राकेश व उसके नाम है। प्रबल ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की फसल पर करीब 75 लाख की लागत आई है। फसल में फल आने लगे हैं। एक पेड़ में पांच सौ से लेकर आठ सौ ग्राम तक फल लगते हैं। मार्च तक फसल तैयार होने के बाद इसे बेचेंगे। इसके लिए लिए दिल्ली से संपर्क किया है। करीब 300 रुपये किलो भाव मिलेगा। उम्मीद है कि फसल से करीब दोगुना फायदा होगा।
नई तरीके से खेती करने के प्रति किया था प्रेरित : डीएचओ
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि विभाग ने किसान प्रबल को प्रेरित कर परंपरागत तरीके से हटकर स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी थी। इसके जरिये उन्होंने प्रगति की है।
ड्रिप सिस्टम लगाने के लिए दिया गया अनुदान
उद्यान विभाग की ओर से प्रबल को ड्रिप सिस्टम के बारे में बताया गया था। इन्हें अनुदान भी दिया गया। सरकार से प्रोत्साहन रूप में प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। कम समय में अधिक मुनाफा मिलता है। अब इसके बाद अन्य किसान भी ऐसी खेती करने के लिए जुड़ेंगे ताकि उनकी आमदनी दुगनी हो सके। ड्रिप और मल्चिंग का मेन उद्देश्य है कि जितना पानी देना जितना फटलाइजर देना है, उतना ही मिले। फसल की पैदावार अच्छी होती है।