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बस्ती। सीएमआर चावल का एक-एक दाना फूंक-फूंक कर लेने के एफसीआई के दावे की पोल खुल गई है। एफसीआई के एजीएम क्वालिटी कंट्रोल और एरिया मैनेजर ने जब सीडब्ल्यूसी गोदाम बस्ती में भंडारण किए गए चावल की जांच की तो अफसरों को 1900 क्विंटल चावल ऐसा मिला जो खाने योग्य नहीं था, उसे रिजेक्ट कर दिया और इसके लिए जिम्मेदार तकनीकी सहायक महावीर श्रीवास्तव को लेवी और सीएमआर की प्राप्ति से विरक्त कर दिया। साथ ही जिस मिल का चावल था उसे बदलने का आदेश दिया। इससे एफसीआई और चावल मिलरों में तनातनी है। बुधवार को यह मामला वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव के सामने यहां के अफसर उठा भी चुके हैं।
मानक की धौंस देकर सीएमआर को रिजेक्ट करने के मामले में हौवा खड़ा करने वाला एफसीआई खुद घटिया चावल लेने के मामले में फंस गया है। यह पहली बार हुआ है जब वर्ष 2012-13 में एफसीआई ने जो चावल मिलरों से सीएमआर का लिया एफसीआई के अफसरों ने उसे अखाद्य बताकर रिजेक्ट कर दिया। इससे मिलरों और तकनीकी सहायकों के बीच सांठगांठ होने की पोल खुल गई। एफसीआई के स्थानीय प्रबंधक अनिरुद्व उपाध्याय कहते हैं कि एजीएम क्यूसी और एरिया मैनेजर गोरखपुर ने दो दिन पहले सीडब्ल्यूसी गोदाम में रखे गए चावल की सुपर चेकिंग की। बताया कि अफसरों की जांच में दो अपूर्ण चट्टा जो 1900 क्विंटल का है को अखाद्य बताकर रिजेक्ट कर दिया गया। साथ ही मानक के विपरीत चावल की प्राप्ति करने वाले एफसीआई के टीए महावीर प्रसाद श्रीवास्तव को लेवी और सीएमआर चावल की प्राप्ति करने से अलग कर दिया गया। बताया कि जय मां भवानी राइस मिल को चावल बदलने का निर्देश दिया गया।
सेटिंग से एक ही गोदाम का काटा जाता आरओ
बस्ती। खाद्य विभाग के अफसरों ने एफसीआई पर (फिफा) यानि प्रथम आगत प्रथम निर्गत का पालन न करने का आरोप लगाया है। आरएफसी एके सिंह कहते हैं कि एफसीआई सिर्फ सीडब्ल्यूसी गोदाम का ही पूरे मंडल के लिए आरओ दे रहा है। नियमत: जिस गोदाम में पहले चावल का भंडारण हुआ है वहीं के लिए पहले आरओ देना चाहिए। ताकि पुराना हो जाने के बाद चावल खराब न हो, मगर एफसीआई के अफसर मनमानी तरीके से आरओ जारी कर रहे और एक गोदाम पर चावल की अनलोडिंग करा रहे हैं। बताया कि सितंबर 2012 के चावल का आरओ नहीं दे रहे हैं और जनवरी 2013 के चावल का आरओ दे रहे हैं। यह मामला प्रमुख सचिव के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी उठाया जा चुका है। वहीं मिलरों और अन्य डिपो प्रभारियों का कहना है कि यह सब सेटिंग के चलते हो रहा है। जिस गोदाम पर सबसे अधिक सेटिंग रहती है उस गोदाम के लिए आरओ भी काट दिया जाता है और वहां पर अनलोडिंग भी करा दी जाती है। हालांकि, इस आरोप को स्थानीय प्रबंधक ने इंकार किया है।
बस्ती। सीएमआर चावल का एक-एक दाना फूंक-फूंक कर लेने के एफसीआई के दावे की पोल खुल गई है। एफसीआई के एजीएम क्वालिटी कंट्रोल और एरिया मैनेजर ने जब सीडब्ल्यूसी गोदाम बस्ती में भंडारण किए गए चावल की जांच की तो अफसरों को 1900 क्विंटल चावल ऐसा मिला जो खाने योग्य नहीं था, उसे रिजेक्ट कर दिया और इसके लिए जिम्मेदार तकनीकी सहायक महावीर श्रीवास्तव को लेवी और सीएमआर की प्राप्ति से विरक्त कर दिया। साथ ही जिस मिल का चावल था उसे बदलने का आदेश दिया। इससे एफसीआई और चावल मिलरों में तनातनी है। बुधवार को यह मामला वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव के सामने यहां के अफसर उठा भी चुके हैं।
मानक की धौंस देकर सीएमआर को रिजेक्ट करने के मामले में हौवा खड़ा करने वाला एफसीआई खुद घटिया चावल लेने के मामले में फंस गया है। यह पहली बार हुआ है जब वर्ष 2012-13 में एफसीआई ने जो चावल मिलरों से सीएमआर का लिया एफसीआई के अफसरों ने उसे अखाद्य बताकर रिजेक्ट कर दिया। इससे मिलरों और तकनीकी सहायकों के बीच सांठगांठ होने की पोल खुल गई। एफसीआई के स्थानीय प्रबंधक अनिरुद्व उपाध्याय कहते हैं कि एजीएम क्यूसी और एरिया मैनेजर गोरखपुर ने दो दिन पहले सीडब्ल्यूसी गोदाम में रखे गए चावल की सुपर चेकिंग की। बताया कि अफसरों की जांच में दो अपूर्ण चट्टा जो 1900 क्विंटल का है को अखाद्य बताकर रिजेक्ट कर दिया गया। साथ ही मानक के विपरीत चावल की प्राप्ति करने वाले एफसीआई के टीए महावीर प्रसाद श्रीवास्तव को लेवी और सीएमआर चावल की प्राप्ति करने से अलग कर दिया गया। बताया कि जय मां भवानी राइस मिल को चावल बदलने का निर्देश दिया गया।
सेटिंग से एक ही गोदाम का काटा जाता आरओ
बस्ती। खाद्य विभाग के अफसरों ने एफसीआई पर (फिफा) यानि प्रथम आगत प्रथम निर्गत का पालन न करने का आरोप लगाया है। आरएफसी एके सिंह कहते हैं कि एफसीआई सिर्फ सीडब्ल्यूसी गोदाम का ही पूरे मंडल के लिए आरओ दे रहा है। नियमत: जिस गोदाम में पहले चावल का भंडारण हुआ है वहीं के लिए पहले आरओ देना चाहिए। ताकि पुराना हो जाने के बाद चावल खराब न हो, मगर एफसीआई के अफसर मनमानी तरीके से आरओ जारी कर रहे और एक गोदाम पर चावल की अनलोडिंग करा रहे हैं। बताया कि सितंबर 2012 के चावल का आरओ नहीं दे रहे हैं और जनवरी 2013 के चावल का आरओ दे रहे हैं। यह मामला प्रमुख सचिव के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी उठाया जा चुका है। वहीं मिलरों और अन्य डिपो प्रभारियों का कहना है कि यह सब सेटिंग के चलते हो रहा है। जिस गोदाम पर सबसे अधिक सेटिंग रहती है उस गोदाम के लिए आरओ भी काट दिया जाता है और वहां पर अनलोडिंग भी करा दी जाती है। हालांकि, इस आरोप को स्थानीय प्रबंधक ने इंकार किया है।