बहराइच। हुजूरपुर ब्लाॅक की ग्राम पंचायत नकहरा अब्बोपुर में भ्रष्टाचार व मनरेगा लोकपाल की जांच रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई न करना डीएम पर भारी पड़ सकता है। हाईकोर्ट ने डीएम को 10 दिन का समय दिया है। इन दस दिनों में अगर डीएम ने कार्रवाई कर हलफनामा कोर्ट में दाखिल नहीं किया तो अवमानना की कार्रवाई हो सकती है।
हुजूरपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत नकहरा अब्बोपुर में बीते महीने ग्रामीण सुनील कुमार ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मनरेगा लोकपाल से इसकी शिकायत की थी। शिकायत के बाद मनरेगा लोकपाल उमेश तिवारी ने गांव का स्थलीय निरीक्षण किया था और शिकायतों की जांच की थी। मनरेगा लोकपाल की जांच में ग्राम प्रधान, सचिव, तकनीकी सहायक आदि भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए थे और लोकपाल ने सभी पर मुकदमा दर्ज करने व भ्रष्टाचार के तहत गबन किए गए पैसों की रिकवरी का आदेश दिया था।
जिले के जिम्मेदारों ने मनरेगा लोकपाल के निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद शिकायत कर्ता सुनील सिंह ने हाईकोर्ट में रिट दायर की। प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने लोकपाल की निर्देशों का पालन करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया था, लेकिन जिला प्रशासन ने एक जांच कमेटी बैठाकर लोकपाल की जांच को ही खारिज कर दिया था और हलखनामा हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया था। इसके बाद शिकायत कर्ता सुनील सिंह ने हाईकोर्ट में अवमानना का केस फाइल किया था। शिकायतकर्ता सुनील कुमार द्वारा दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई दौरान न्यायमूर्ति ने जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए 15 दिन का समय दिया था, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से 15 दिन बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद तीन फरवरी को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने न्यायमूर्ति रजनीश की एकल पीठ में अवमानना की बात कही। अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने न्यायमूर्ति से 10 दिन का समय मांगा और इन दस दिनों में कार्राई करवाकर कोर्ट में हलफनामा दायर करने का आश्वासन दिया। शिकायतकर्ता के अधिवक्ता आशीष सिंह ने बताया कि न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल पीठ ने डीएम को 10 दिन का समय दिया है। तब तक कार्रवाई न होने पर 16 फरवरी को डीएम को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।